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Mann Ki Baat: ‘क्या है नीम नदी के पुनर्जीवित होने का किस्सा’, जिसका पीएम मोदी ने मन की बात में किया जिक्र

Mann Ki Baat: हापुड़ की नीम नदी पहले अपशिष्टों और उपेक्षा के कारण प्रदूषित हो गई थी। नदी की गंदगी और प्रदूषण के कारण स्थानीय जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर पड़ रहा था। इस संकट के सामने उबरने के लिए एवं नदी को जीवंत करने के लिए स्थानीय नागरिकों के संघर्षपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता थी। हापुड़ के निवासियों ने साथ मिलकर नीम नदी को साफ करने और प्रदूषण से मुक्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया।

नई दिल्ली। रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 102वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हापुड़ की नीम नदी के पुनर्जीवित होने की प्रेरणादायी कहानी पर बात की। उन्होंने महानगर के स्थानीय समुदाय द्वारा नदी को जीवंत करने के किए गए प्रयासों की सराहना की, जो पहले भारी प्रदूषण के आघात से पीड़ित थी और लुप्त होने की कगार पर थी। प्रधानमंत्री मोदी ने हापुड़ की नीम नदी को अपनी पूर्व महिमा में पुनर्जीवित करने के लिए स्थानीय समुदाय द्वारा उठाए गए अभूतपूर्व कदमों की प्रशंसा की।

नवीन प्रधान और नीर फाउंडरेशन के रमन कांत त्यागी की तारीफ

उन्होंने इस तरह की पहल के महत्व पर भी जोर दिया और हमारे प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने और बचाने में इन पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पर्यावरणविद् नवीन प्रधान और नदियों के संरक्षण पर काम कर रहे नीर फाउंडरेशन रमन कांत त्यागी के अथक प्रयास से नीम नदी के पुनर्जीवित होने पर प्रशंसा भी की।

औद्योगिक अपशिष्ट से नदी का हो रहा था विनाश

जानकारी के लिए आपको बता दें कि हापुड़ से होकर बहने वाली नीम नदी पर औद्योगिक अपशिष्ट और उपेक्षा के चलते समय नदी की दशा खराब हो गई थी और यह स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक खतरा पैदा कर रही थी। हालांकि, समुदाय के शानदार प्रयासों के बाद अब चीजें बदल गई हैं। आज नदी अपने पुराने रूप में लौटने लगी है, नदी में जलप्रवाह स्वच्छ हो रहा है।

हापुड़ की जनता की प्रशंशा

प्रधानमंत्री ने हापुड़ की जनता के सामर्थ्यपूर्ण कदमों की सराहना की, जो नीम नदी को साफ करने और पुनर्जीवित करने में सक्रिय रही है। उन्होंने उनकी पर्यावरण संरक्षण में समर्पण और उनके क्षेत्र के लिए एक सामर्थिक भविष्य बनाने के लिए उनके समर्पण की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री मोदी ने नीम नदी का उदाहरण देते हुए कहा कि हापुड़ की इस नदी के पुनर्जीवन की सफल कहानी से देश के अन्य क्षेत्र भी प्रेरित हों। उन्होंने पूरे देश के नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अपनी स्थानीय जल स्रोतों को संरक्षित रखने और पुनर्स्थापन करने में सक्रिय रहें और सरकार के पर्यावरण और नदियों के संरक्षण के प्रयासों में योगदान दें।

कैसे मिला नीम नदी को पुनर्जीवन

हापुड़ की नीम नदी पहले अपशिष्टों और उपेक्षा के कारण प्रदूषित हो गई थी। नदी की गंदगी और प्रदूषण के कारण स्थानीय जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर पड़ रहा था। इस संकट के सामने उबरने के लिए एवं नदी को जीवंत करने के लिए स्थानीय नागरिकों के संघर्षपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता थी। हापुड़ के निवासियों ने साथ मिलकर नीम नदी को साफ करने और प्रदूषण से मुक्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया।

कई चरणों में चला अभियान

दीर्घकालिक प्रयासों और संघर्ष के बाद, हापुड़ के निवासियों ने नीम नदी की पुनर्जीवन के लिए विभिन्न कदम उठाए। प्रथम चरण में, नदी की सफाई के लिए स्वयंसेवकों ने जागरूकता अभियान चलाया और सभी को साफ पानी के महत्व के बारे में शिक्षित किया। स्थानीय नागरिकों ने भी स्वच्छता अभियानों का आयोजन किया और नदी के किनारे बोतियां लगाकर आकर्षक महासभाओं का आयोजन किया। इस तरह एक के बाद एक कदमों से इस नदी को मिलकर स्वच्छ कर दिया गया।