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Joshimath : उत्तराखंड के जोशीमठ में आई दरार के लिए जिम्मेदार कौन? NTPC ने पूरे विवाद पर क्यों दी सफाई..

Joshimath : जोशीमथ बचाओ संघर्ष समिति के संजोयक अतुल सती ने कहा, “हम पिछले 14 महीनों से अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया। अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो वे चीजों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेज रहे हैं।”

नई दिल्ली। देवभूमि उत्तराखंड का जोशीमठ इन दिनों चर्चाओं में है, इसके साथ ही जोशीमठ में बड़े पैमाने पर चल रहीं निर्माण गतिविधियों के कारण बड़ी संख्या में इमारतों में दरारें पड़ने संबंधी चेतावनियों की अनदेखी करने को लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा देखने को मिल रहा है। बढ़ती चिंता और लोगों की नाराजगी के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज शनिवार को जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ का शनिवार को दौरा किया। दूसरी ओर, निर्माण कार्य को लेकर निशाने पर आए एनटीपीसी ने कहा कि उसकी ओर से बनाई जा रही सुरंग जोशीमठ से नहीं जा रही है।

वहीं दूसरी तरफ जोशीमठ में आई दरार को लेकर एनटीपीसी ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है। आपको बता दें कि नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (NTPC) ने जोशीमठ में इमारतों में आ रही दरारों को लेकर सफाई पेश करते हुए कहा, “जोशीमठ नगर में हो रहे भू-धंसाव के लिए कथित रूप से एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। इस संबंध में यह साफ किया जाता है कि एनटीपीसी की ओर से बनाई गई सुरंग जोशीमठ शहर के नीचे से नहीं जा रही है।”

आपको बता दें कि एनटीपीसी ने इस बारे में बात करते हुए कहा, “इस सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन द्वारा किया गया है। साथ ही यह भी वर्तमान में ब्लास्टिंग का कोई भी काम इस समय नहीं किया जा रहा है।” एनटीपीसी ने कहा, “वह पूरी जिम्मेदारी से यह बताना चाहती है कि जोशीमठ शहर में हो रहे भू-धसांव के लिए एनटीपीसी की इस सुरंग का कोई संबंध नहीं है।” एनटीपीसी की ओर से यह पत्र 5 जनवरी को पेश की गई थी।

सफाई में NTPC ने क्या कहा

एक तरफ तो जोशीमठ में आई दरार देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है वहीं दूसरी ओर, स्थानीय लोग इमारतों की खतरनाक स्थिति के लिए खासकर एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जोशीमथ बचाओ संघर्ष समिति के संजोयक अतुल सती ने कहा, “हम पिछले 14 महीनों से अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमारी बात पर ध्यान नहीं दिया गया। अब जब स्थिति हाथ से निकल रही है तो वे चीजों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेज रहे हैं।” ‘स्थायी समाधान निकाले जाएं’ उन्होंने कहा, “अगर समय रहते हमारी बात पर ध्यान दिया गया होता तो जोशीमठ में हालात इतने जटिल नहीं हुए होते।”