नई दिल्ली। कुन्नूर हेलीकॉप्टर हादसे में भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद इस बात की चर्चा तेज हो चुकी है कि अब अगले सीडीएस के पद पर विराजमान होने वाले कौन होंगे, क्योंकि वर्तमान में चीन और पाकिस्तान के साथ हमारे सीमावर्ती विवाद चल रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में तीनों ही सेनाओं क बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए सीडीएस के पद पर किसी न किसी व्यक्ति को आसीन करने की आवश्यकता महसूस होती है। लिहाजा, आज इसी आवशयकता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी संदर्भ में आज सीसीएस की बैठक की है। अब यह बैठक खत्म हो चुकी है। लेकिन, बैठक में किन मसलों पर क्या कुछ चर्चा हुई है, किसी भी आधिकारिक स्रोत से इसकी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को भारत का अगला सीडीएस बनया जा सकता है।
इस पद के लिए उनके नाम पर मुहर लगाई जा सकती है। हालांकि, एमएम नरवणे के अलावा और भी कई नामों पर चर्चा हुई है, लेकिन इन तमाम चर्चाओं के बीच एमएम नरवणे का नाम सबसे ऊपर रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हें भारत का अगला सीडीएस नियुक्त किया जा सकता है। बता दें कि एमएम नवरणे वर्तमान में तीनों ही सेनाओं के प्रमुख हैं। उन्होंने अपने सेवाकाल के दौरान सेना के तीनों ही अंगों को अपनी कार्यकुशलता के दम पर संबलता प्रदान की है। एमएम नवरणे अगले साल अप्रैल माह में अपने पद से रिटायर होने वाले हैं। नियमों के मुताबिक, किसी भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को 65 वर्ष की उम्र तक सीडीएस के पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है और इस लिहाज से देखे तो तीनों ही सेनाओं के प्रमुख वर्तमान में 62 साल है और सीडीएस का कार्यकाल भी तीनों वर्षों का ही होता है, तो ऐसी स्थिति में सीडीएस के अगले पद के लिए उनका नाम चर्चा की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है।
बता दें कि बीते दिनों जिस तरह की स्थिति भारत पाकिस्तान, नेपाल और चीन जैसों पड़ोसियों के संग रही है। ऐसी चुनौतिपूर्ण स्थिति में सीडीएस की जिम्मेदारी उभरकर सामने आई है। ऐसे में इस पद को ज्यादा दिनों तक अपदस्थ रखना संवेदनशील हो सकता है। लिहाजा केंद्र सरकार की तरफ से जल्द से इस पद पर किसी उपयुक्त सैन्य अधिकारियों को सीडीएस के पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। बिपिन रावत भारत के पहले सीडीएस रहे हैं। साल 1999 करगिल युद्ध के दौरान इस पद की महत्ता समझी गई थी। करगिल युद्ध के दौराम भारतीय सैन्य क्षति के पीछे की प्रमुख वजह तीनों ही सेनाओं के बीच तालमेल का अभाव रहा था।