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जंगली सूअरों को मारना क्यों चाहती है केरल सरकार? केंद्र सरकार ने परमिशन देने से कर दिया इंकार

जंगली सूअर किसानों की खेती को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही वन क्षेत्र के निकट स्थित गांवों में जंगली सूअरों के उत्पात बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर केरल के वन मंत्री एके शशींद्रन ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की।

नई दिल्ली। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने केरल सरकार की उस मांग की खारिज कर दिया है जिसमें सूअरों को हिंसक जानवर घोषित करने की अनुमति मांगी गई थी। केंद्र सरकार ने यह कहते हुए इस मांग को खारिज कर दिया है कि लोगों को जानवरों को मारने की अनुमति देने से फायदे कम और नुकसान ज्यादा होंगे। लेकिन केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने आश्वासन दिया है कि मंत्रालय इस स्थिति से निपटने के लिए अन्य तरीकों पर विचार करेगा।

दरअसल जंगली सूअर किसानों की खेती को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही वन क्षेत्र के निकट स्थित गांवों में जंगली सूअरों के उत्पात बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी मुद्दे को लेकर केरल के वन मंत्री एके शशींद्रन ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाक़ात के बाद केरल के वन मंत्री एके शशींद्रन ने कहा कि राज्य के कृषक समुदाय ने सरकार से जंगली सूअरों को हिंसक जानवर घोषित करने का आग्रह किया है क्योंकि इन जानवरों के कारण फसलों के नुकसान से किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए एके शशींद्रन ने कहा, ‘‘ इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री को दी गई। उन्होंने कहा कि लोगों को जानवरों को मारने की अनुमति देने से फायदे से अधिक नुकसान होगा। उन्होंने इस परेशानी से निपटने और लोगों की मदद के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। केरल उच्च न्यायालय ने इस साल जुलाई में कुछ किसानों के कृषि भूमि क्षेत्र में जंगली सूअरों को मारने की अनुमति दी थी।

दरअसल जंगली सूअर किसानों की खेती को बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही जंगली सूअरों की वजह से आम लोगों की जिन्दगी भी प्रभावित हो रही है। केरल सरकार द्वारा सूअरों से लोगों और खेती को बचाने में असमर्थ रहने पर केरल हाई कोर्ट ने सूअरों को मारने का आदेश जारी किया था।