
चंडीगढ़। अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। इन चुनावों के लिए सभी दल तैयारी कर रहे हैं। विपक्षी दलों की एकता की बात हो रही है। बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों का नाम लें, तो इनमें पंजाब का शिरोमणि अकाली दल भी है। अकाली दल पहले बीजेपी के साथ एनडीए का हिस्सा था, लेकिन उसने नाता तोड़ लिया। अब ऐसा लग रहा है कि बीजेपी एक बार फिर अकाली दल को साथ लाने में जुट गई है। मोदी सरकार में नंबर 2 की हैसियत वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के ताजा बयान से यही संकेत मिले हैं। अगर अकाली दल को बीजेपी अपने साथ फिर ले आती है, तो इसका पंजाब की लोकसभा सीटों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
राजनाथ सिंह ने अकाली दल के मामले में शनिवार को चंडीगढ़ में जो बयान दिया, उससे अटकलें लग रही हैं कि दोनों फिर एक हो सकते हैं। पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में अकाली दल शामिल नहीं हुआ था। अब राजनाथ ने बड़ा बयान दे दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे प्रकाश सिंह बादल की याद आती है। अकाली दल हमारे गठबंधन में नहीं है। राजनाथ ने कहा कि वो नहीं जानते कि आखिर किन कारणों से अकाली दल अलग हुआ। रक्षा मंत्री ने जनसभा में कहा कि हम जिसे साथ लाते हैं, उसका पूरा सम्मान करते हैं। एक और अहम बात उन्होंने कही कि वो भले ही दूर चले जाएं, लेकिन हम किसी को दिल से कभी दूर नहीं करते।

पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं। अकाली दल ने किसान आंदोलन के वक्त एनडीए का साथ छोड़ दिया था। हालांकि अभी अकाली दल और बीएसपी का गठबंधन यहां है। वहीं, राज्य की सत्ता पर आम आदमी पार्टी (आप) काबिज है। अकाली दल और आप के बीच छत्तीस का आंकड़ा पहले से ही है। अकाली दल के लिए मुश्किल इसमें होगी कि अगर वो फिर एनडीए के साथ जाना चाहे, तो उसे बीएसपी का साथ छोड़ना होगा। हालांकि, राजनीति को संभावनाओं वाला बताया जाता है।