newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Bihar Politics And Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बिहार में होगा फायदा!, जानिए इस चर्चा के पीछे क्या है जातीय गणित

Bihar Politics And Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर का व्यक्तित्व इतना बड़ा है कि उनको भारत रत्न दिए जाने का कोई भी विरोध नहीं कर सकता। विरोध हो भी नहीं रहा। जेडीयू, आरजेडी ये तो कह रहे हैं कि भारत रत्न देने में देर हो गई, लेकिन देश का सर्वोच्च सम्मान कर्पूरी ठाकुर को दिए जाने के एलान पर खुशी भी जताई है।

नई दिल्ली। बिहार के सीएम रहे स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर की आज जन्मशती है। कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता थे। उनकी सादगी की लोग आज भी चर्चा करते हैं। मार्च से लोकसभा चुनाव होने की संभावना है। इससे ठीक पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के एलान से बिहार में चुनावी समीकरण बदलने के भी आसार हैं। दरअसल, बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 52 फीसदी है। इसमें से अति पिछड़ा वर्ग ही 35 फीसदी है। नीतीश कुमार की सरकार ने जातीय जनगणना के बाद ये आंकड़े जारी किए थे। इसी के हिसाब से अति पिछड़ा वर्ग के लिए उन्होंने बिहार में आरक्षण को भी 18 से बढ़ाकर 25 फीसदी करने का एलान किया था। अब कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने से बीजेपी ये दावा कर सकती है कि उसने ही बिहार के जननायक को असली श्रद्धांजलि दी है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज कर्पूरी ठाकुर पर एक लेख लिखकर बताया है कि उनकी सरकार दिवंगत नेता के दिखाए रास्ते पर ही चल रही है।

कर्पूरी ठाकुर का व्यक्तित्व इतना बड़ा है कि उनको भारत रत्न दिए जाने का कोई भी विरोध नहीं कर सकता। विरोध हो भी नहीं रहा। जेडीयू, आरजेडी ये तो कह रहे हैं कि भारत रत्न देने में देर हो गई, लेकिन देश का सर्वोच्च सम्मान कर्पूरी ठाकुर को दिए जाने के एलान पर खुशी भी जताई है। सीएम नीतीश कुमार ने तो एक्स पर पोस्ट में फेरबदल कर पीएम नरेंद्र मोदी को इसके लिए धन्यवाद भी दिया है। बिहार में पहले से ही चर्चा तेज है कि नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदलकर बीजेपी के साथ जा सकते हैं। इनके बीच कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का एलान और इस पर नीतीश का पीएम मोदी को धन्यवाद देना भी चर्चा की वजह बना है।

voting

ऐसे में सबकी नजर इस पर है कि बीजेपी अब आगे कर्पूरी ठाकुर को लेकर किस तरह का चुनावी समीकरण बिठाती है। दरअसल, बिहार में जाति आधारित राजनीति ही होती रही है। ऐसे में सबसे ज्यादा अति पिछड़ों और पिछड़ों का वोट अगर लोकसभा चुनाव में बीजेपी हासिल करती है, तो इससे इंडिया गठबंधन को 40 सीटों वाले राज्य में जोर का झटका लग सकता है। बीजेपी ने 2019 में बिहार में 17 लोकसभा सीटें जीती थीं। जबकि, जेडीयू को 16 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।