हैदराबाद। राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। अब राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस की तेलंगाना सरकार अपने नेता के कहने पर राज्य में जातिगत सर्वे कराने जा रही है। तेलंगाना में रेवंत रेड्डी सरकार ने नवंबर में जातिगत सर्वे कराने का फैसला किया है। जातिगत सर्वे का तौर-तरीका क्या होगा, इसकी जानकारी लेने के लिए राहुल गांधी खुद 5 नवंबर को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद पहुंचकर अहम बैठक करने वाले हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी इस बैठक में बताएंगे कि तेलंगाना में जातिगत सर्वे किस तरह कराया जाए। तेलंगाना से पहले बिहार में नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे करा उसके आंकड़े सार्वजनिक किए थे। हालांकि, बिहार के लोगों को जातिगत सर्वे का अब तक कोई फायदा नहीं मिला।
बिहार में नीतीश कुमार जब कांग्रेस और आरजेडी समेत और बीजेपी विरोधी दलों के साथ सत्ता में थे, तब उन्होंने जातिगत सर्वे का फैसला किया था। इसके खिलाफ कुछ लोगों ने पटना हाईकोर्ट और वहां से झटका खाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। दोनों ही अदालतों ने बिहार में जातिगत सर्वे पर रोक लगाने से इनकार किया था। इससे उत्साहित होकर नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे कराया और फिर इसके आंकड़े आए। आंकड़े आने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कानून पास कराकर राज्य में पिछड़ों और अनुसूचित जाति का आरक्षण बढ़ाया था, लेकिन इस मामले में उनको झटका लग गया। पहले पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण बढ़ाने के नीतीश कुमार सरकार के कानून को असंवैधानिक बताया। इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, तो वहां से भी राहत नहीं मिली। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ही तय कर रखा है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण दिया नहीं जा सकता। ज्यादा आरक्षण देने के लिए संसद से कानून में संशोधन करना होगा।
बिहार में जातिगत सर्वे का फायदा आम लोगों को न होने के कारण अब सबकी नजर इस पर है कि ऐसा ही सर्वे कराकर तेलंगाना की कांग्रेस सरकार क्या हासिल करती है। जातिगत सर्वे और जनगणना को लेकर राजनीति भी काफी हो रही है। एक तरफ विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि जातिगत जनगणना करा समाज के वंचित वर्गों को उनकी आबादी के हिसाब से फायदा दिया जाए। वहीं, बीजेपी इस मसले पर दूसरे अंदाज में कह रही है कि कांग्रेस और विपक्षी दल समाज को बांटने के लिए जाति का मुद्दा उठा रहे हैं।