नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के चुनाव के खिलाफ आंदोलन करने वाले पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा है। ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुने जाने के खिलाफ पहलवानी से संन्यास लेने का एलान कर दिया। वहीं, एक और ओलंपियन बजरंग पूनिया ने अपना पद्म सम्मान लौटाने का एलान करते हुए मेडल को पीएम नरेंद्र मोदी के आवास के बाहर फुटपाथ पर रख दिया। अब सवाल ये उठता है कि क्या कोई पद्म सम्मान को लौटा सकता है? इस सवाल का जवाब है नहीं। कोई भी पद्म सम्मान या भारत रत्न को लौटा नहीं सकता। क्योंकि नियमों में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि पद्म सम्मान लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है। एक बार सम्मान के रजिस्टर में नाम चढ़ गया, तो वो नाम हमेशा बना रहता है, जबतक कि राष्ट्रपति इसे रद्द करने का आदेश न दें। आज तक किसी का भी नाम पद्म सम्मान के रजिस्टर से हटाया नहीं गया है। ऐसे में बजरंग पूनिया भले ही पीएम के आवास के बाहर अपना पद्म सम्मान वाला मेडल रख गए हों, लेकिन सम्मान हासिल करने वालों के रजिस्टर में उनका नाम बना रहेगा। यानी कुल मिलाकर बजरंग पूनिया ने जो किया, वो एक तरह से स्टंट ही कहा जाएगा। इससे पहले भी तमाम लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए अपने सम्मान वापस करने का एलान किया था। इनमें शायर मुनव्वर राणा, पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और एसएस ढींढसा भी हैं, लेकिन इन सभी का नाम सम्मान हासिल करने वालों की लिस्ट में अब भी है।
उधर, खेल मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से खबर आई है कि बजरंग पूनिया को मनाने की कोशिश की जाएगी। उनको समझाया जाएगा कि पद्म सम्मान के साथ इस तरह वो न करें। बता दें कि बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ लंबे समय तक धरना भी दिया था। जिसके बाद पुलिस ने जांच की और बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की। ये मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।