लखनऊ। कोरोना काल में प्रदेश में वापस आए प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने नई पहल शुरू की है। सरकार प्रवासी मजूदरों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले उद्योगों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की योजना तैयार कर रही है। सरकार प्रवासी मजूदरों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले उद्योगों को प्रति मजदूर एक से दो हजार रुपए आर्थिक सहायता देने पर विचार कर रही है। इससे उद्योगों पर भार भी नहीं पड़ेगा और प्रवासी मजदूरों को नौकरी भी मिल जाएगी। एमएसएमई विभाग की ओर से 629 करोड़ रुपए की नई योजना का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है।
कोरोना काल के दौरान विभिन्न राज्यों से 34 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर प्रदेश के अंदर आए थे। इस दौरान सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए खाने पीने की व्यवस्था के साथ इन्हें रोजगार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया था। सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने पर उनकी स्किल मैपिंग कराई थी ताकि मजदूरों को उनको हुनर के हिसाब से रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। जानकारों की मानें तो 25 लाख से अधिक मजदूरों की स्किल मैपिंग का काम कराया जा चुका है। सरकार की ओर से प्रवासी श्रमिक राहत पोर्टल बनाया था। इसमें मजदूरों का डाटा उनकी दक्षता के हिसाब से तैयार किया गया था। मजदूरों की दक्षता को 52 श्रेणियों में बांटा गया था।
हथकरघा उद्योग की तर्ज पर तैयार हो रही योजना
प्रदेश सरकार श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योगों का सहारा बनने जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है कि जिस तरह हथकरघा उद्योग के मजदूरों को रोजगार देने पर प्रति मजदूर का अनुदान दिया जाता है। उसी तरह से प्रवासी मजदूरों को अपने उद्योगों में रोजगार देने पर प्रति मजदूर 1 से 2 हजार रुपए प्रतिमाह उद्योगों को अनुदान दिया जा सकता है। इससे मजदूरों को स्थानीय उद्योगों में रोजगार दिलाने में सहायता मिलेगी। इस योजना के तहत प्रवासी मजदूरों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, मुख्यमंत्री प्रवासी रोजगार योजना से जोड़ कर उन्हीं प्रवासी मजदूरों को लाभान्वित किया जाएगा, जिनका रजिस्ट्रेशन पहले से राज्य सरकार के पोर्टल पर है।