नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में इस बार भारत ने शानदार प्रदर्शन किया। देश ने ओलंपिक में इतिहास रचते हुए 7 मेडल जीते। जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत पदक और 4 कांस्य पदक सहित कुल सात पदक हैं, जो कि भारत का अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। वहीं टोक्यो ओलंपिक में पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में सिल्वर मेडल जीता। बता दें कि रवि कुमार दहिया ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती की ट्रेनिंग ली है, लेकिन रवि दहिया की इस सफलता के पीछे किसका बड़ा हाथ इसको लेकर अहम जानकारी दी। अपनी कामयाबी के पीछे उन्होंने अपने बचपन के गुरु का हाथ बताया। इसकी बात की जानकारी उन्होंने खुद एक मीडिया चैनल बात करते हुए दी। इस खास बातचीत में रवि दहिया ने सोनीपत से दिल्ली के स्टेडियम तक के अपने सफर की कहानी को शेयर की।
पहलवान दहिया ने बताया कि उनकी कामयाबी के पीछे उनके बचपन के गुरु ब्रह्मचारी हंसराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दहिया ने बताया कि उनके घर से करीब 3 किलोमीटर दूर उनके पहले गुरु रहते हैं। वह 6 साल की उम्र में उनके अखाड़े में चले गए थे और 12 साल की उम्र तक वहां प्रशिक्षण लेते रहे। उन्होंने अपने गुरु हंसराज को लेकर जानकारी देते हुए कहा, साल 1996 में अपना घर छोड़ दिया था और तब से वह गांव के पास संन्यासी की तरह जीवन- यापन कर रहे हैं। दहिया ने बताया कि हंसराज के अखाड़े में आसपास के गांवों के कई बच्चे उनसे प्रशिक्षण लेने भी आते हैं।
चैनल से बात करते हुए दहिया ने अपने बचपन की यादे भी ताजा की और बताया कि, मैंने बचपन में अपने गांव के अखाड़े में अभ्यास करना शुरू कर दिया था। तब मेरे गुरु मुझे 12 साल की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम ले आए। दहिया ने बताया कि मेरे गुरु ने कहा ने मुझे कहा था कि सभी अच्छे पहलवान यहीं से निकलते हैं। जिसके बाद फिर मैं यहां चला आया।
गौरतलब है कि टोक्यो से रजत पदक जीतकर लौटने के बाद पहलवान रवि दहिया का दिल्ली में जोरदार स्वागत किया गया।
I am feeling very emotional right now. Thank you my beloved countrymen, I am truly humbled and honoured by your love and affection. I promise to win more medals for India. Thank you everyone ???? #JaiHind ?? pic.twitter.com/Xzgfkurtlk
— Ravi Kumar Dahiya (@ravidahiya60) August 9, 2021