वॉशिंगटन। अफगानिस्तान में हिंसा पर आमादा तालिबान को रोकने के लिए अमेरिका समेत छह देशों ने कसम खाई है। इन देशों ने कहा है कि वे किसी भी सूरत में हिंसा के दम पर तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा नहीं करने देंगे। ताशकंद में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद इन देशों का ये रुख सामने आया है। अमेरिका के अलावा तालिबान के खिलाफ उठ खड़े होने वाले देश तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान और ताजिकिस्तान हैं। इन देशों ने साझा बयान जारी कर साफ कह दिया है कि ताकत के दम पर अगर तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बना भी ले, तो उसे समर्थन नहीं दिया जाएगा।
तालिबान लगातार अफगानिस्तान में हिंसा कर रहा है। इस आतंकवादी समूह ने अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है। उसके खिलाफ अफगान एयरफोर्स कार्रवाई कर रही है। अफगानिस्तान की सरकार को समर्थन देने वाले सभी छह देशों ने कहा है कि आतंकवादी और तीसरे पक्ष की ताकतों को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी भी देश को धमकी नहीं देनी चाहिए।
इन देशों ने कहा है कि वे अफगानिस्तान में संघर्ष को खत्म करने के लिए मिलकर काम करेंगे। सभी छह देशों ने कहा है कि जंग की वजह से मध्य और दक्षिण एशिया के देशों का आर्थिक विकास रुक गया है। उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए स्थायी और माकूल हालात बनाने पर वे सहमत और एकजुट हैं। इन देशों ने अफगानिस्तान मे सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार, संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग करने का भी फैसला किया है।
सभी छह देश चाहते हैं कि अफगानिस्तान के मसले का राजनीतिक समाधान किया जाए। इससे पहले अमेरिका के नेतृत्व में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उजबेकिस्तान की तरफ से साझा बयान जारी कर नया बहुपक्षीय राजनयिक प्लेटफॉर्म बनाने की रजामंदी जाहिर की गई थी।