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UNSC का चेयरमैन बनने के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कमर और कसी, UN में तय किया अपना रोल

UNSC: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद, सुरक्षा, विकासशील देशों के मुद्दे, बहुपक्षवाद में सुधार और महिलाओं के विकास के एजेंडे को भारत बढ़ाएगा। भारत को आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चेयरमैन चुना गया है। इस साल दिसंबर में उसे फिर चेयरमैन की सीट मिलने वाली है। तिरुमूर्ति ने कहा कि फिलहाल सुरक्षा परिषद में ध्रुवीकरण है। हम अलग-अलग विचारों को एक जैसा बनाने का काम भी करेंगे।

न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC का चेयरमैन बनने के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने अभियान को और जोर देने का फैसला किया है। उसने संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भी अपना रोल तय किया है। ताकि इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने सोमवार को कहा कि हमारे देश ने पूरी दुनिया को आतंकवादियों और उनके आकाओं के सबूत हमेशा दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि बतौर सुरक्षा परिषद के चेयरमैन भारत समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद के खिलाफ जंग को और तेज करने पर जोर देगा। तिरुमूर्ति ने कहा कि हम आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सेक्रेटरी जनरल की रिपोर्ट पर भी सुरक्षा परिषद में चर्चा होने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति में समुद्री सुरक्षा को अहम माना गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए जरूरी बातों को बतौर सुरक्षा परिषद चेयरमैन हम लागू कराने की कोशिश करेंगे।

TS tirumurti

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद, सुरक्षा, विकासशील देशों के मुद्दे, बहुपक्षवाद में सुधार और महिलाओं के विकास के एजेंडे को भारत बढ़ाएगा। भारत को आठवीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का चेयरमैन चुना गया है। इस साल दिसंबर में उसे फिर चेयरमैन की सीट मिलने वाली है। तिरुमूर्ति ने कहा कि फिलहाल सुरक्षा परिषद में ध्रुवीकरण है। हम अलग-अलग विचारों को एक जैसा बनाने का काम भी करेंगे।

बता दें कि सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों की संख्या 15 है। इनमें से 5 देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन स्थायी सदस्य हैं। किसी भी प्रस्ताव को वीटो करने यानी नकारने का अधिकार इन्हीं पांच देशों को मिला है। भारत लगातार खुद को स्थायी सदस्य बनाने की मांग कर रहा है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ने हमेशा भारत की मांग का समर्थन किया है, लेकिन पाकिस्तान का पिछलग्गू बना चीन इसके खिलाफ है।