नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान का एजेंडा सेट करने वाले और दुश्मन देश की आवाज उठाने वाले अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का 1 सितंबर की रात को निधन हो गया। वो 92 साल के थे। वहीं गिलानी की मौत पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुख जताते हुए कुछ ऐसा ट्वीट कर दिया, जिससे साफ होता है कि सैयद अली शाह गिलानी के तार पाकिस्तान से बेहतर तरीके से जुड़े रहे, और वो भारत में रहकर पाकिस्तान के एजेंडे को उठाते रहे। बता दें कि इमरान खान ने अपने ट्वीट में लिखा कि, कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की खबर सुनकर बहुत आहत हूं। वे जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्मनिर्णय के अधिकारों के लिए लड़ाई रहे। इमरान खान ने लिखा कि, गिलानी को भारत ने कैद करके रखा और उन्हें प्रताड़ित किया। पाकिस्तान में उनके संघर्ष को हमारी तरफ से सलाम करते हैं और उनके शब्दों को याद करते हैं। उनके निधन पर पाकिस्तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएंगे।
इमरान खान द्वारा गिलानी के लिए लिखे गए शब्दों पर गौर करें तो जाहिर होता है कि गिलानी पर लगने वाले पाक एजेंट का दावा एकदम सही साबित हुआ। दरअसल इमरान खान ने पाकिस्तान में गिलानी की याद में आधिकारिक शोक का ऐलान किया। ऐसे में पाक की तरफ से दिखाए जा रहे इस भाव के पीछे गिलानी प्रेम है जो गिलानी अक्सर भारत विरोधी कार्यों को कर पाकिस्तान को खुश करने का मौका देते थे।
वहीं गिलानी की मौत पर सिर्फ इमरान खान ने ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी ट्वीट किया और लिखा कि, ‘कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन के मशाल वाहक सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर पाकिस्तान अपनी तरफ से शोक व्यक्त करता है। भारतीय कब्जे की नजरबंदी के दौरान गिलानी ने आखिरी सांस तक कश्मीरियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्हें शांति मिले और उनकी आजादी का सपना साकार हो।’
गौरतलब है कि 92 साल की उम्र में सैयद अली शाह गिलानी की मौत बुधवार शाम को हुई। गिलानी ने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला। वहीं पाकिस्तान ने अपनी इस कठपुतली को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी दिया था। बावजूद इसके गिलानी और हुर्रियत के तमाम नेता आतंकवाद के खिलाफ न बोलकर आम जनता के बीच विलेन बन गए थे। यहां तक कि एक बार गिलानी ने जब कश्मीर में चुनाव के खिलाफ ऐलान किया था, तो लोगों ने उनका ही बायकॉट कर दिया था।