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Britain: ब्रिटेन में Twitter के फर्जी अकाउंट्स के जरिए फैलाई गई हिंसा, रिपोर्ट से हुआ खुलासा

Britain: 27 अगस्त को एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए क्रिकेट मैच के बाद सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, कुछ दंगाइयों ने लाठी-डंडे लिए और कांच की बोतलें फेंकी। लीसेस्टर शायर पुलिस के मुताबिक, इस संघर्ष के दौरान घरों, कारों और धार्मिक कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाया गया, जो हफ्तों तक चला और इसके परिणामस्वरूप 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

नई दिल्ली। ब्रिटेन के लीसेस्टर में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा तो आपको याद ही होगी। लगभग 2 महीने पहले इस्लामिक कट्टरपंथियों ने लेस्टर में न सिर्फ हिंदू समुदाय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, बल्कि एक मंदिर में लगे भगवा झंडे को भी उखाड़कर फेंक दिया था। हिंदुओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई थी। भद्दे इशारे किए गए थे। इस घटना से ब्रिटेन में हिंदुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी। अब अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने इससे जुड़ा जो खुलासा किया है उससे ये साफ हो गया है कि ये कोई अचानक हुई घटना नहीं बल्कि एक सोची समझी साजिश थी और इस साजिश को ब्रिटेन के बाहर से अंजाम दिया गया था। दरअसल, ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक शोध के अनुसार यूके के बाहर से फेक ट्विटर अकाउंट्स के नेटवर्क ने ब्रिटिश शहर में मुसलमानों और हिंदुओं के बीच हिंसा को भड़काया था। अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के नेटवर्क कॉन्टैगियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, इस साल अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में लीसेस्टर में हुए दंगों के दौरान ट्विटर पर लगभग 500 फेक अकाउंट बनाए गए थे, जो हिंसा और प्रचारित मीम्स के साथ-साथ आग लगाने वाले वीडियो सर्कुलेट करने के लिए बनाए गए थे।

Leicester riots

27 अगस्त को एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए क्रिकेट मैच के बाद सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, कुछ दंगाइयों ने लाठी-डंडे लिए और कांच की बोतलें फेंकी। लीसेस्टर शायर पुलिस के मुताबिक, इस संघर्ष के दौरान घरों, कारों और धार्मिक कलाकृतियों को नुकसान पहुंचाया गया, जो हफ्तों तक चला और इसके परिणामस्वरूप 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

सोशल मीडिया मस्जिदों में आग लगाने और अपहरण के दावों के वीडियो से भरा हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने चेतावनी जारी की कि लोगों को ऑनलाइन गलत सूचना पर विश्वास नहीं करना चाहिए। लीसेस्टर को दंगों की आग में झोंकने में सबसे बड़ा हाथ भारत से संचालित किए जाने वाले ट्विटर अकाउंट्स का था। शोधकर्ताओं ने बताया कि भारत में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत की असहिष्णु और एक मुस्लिम विरोधी हिंदू राष्ट्र की छवि बनाने में जुटे लोग ही ट्विटर पर लीसेस्टरलीसेस्टर में हुई हिंसा के सूत्रधार थे। इस बात की पुष्टि लिस्टर के मेयर पीटर सेलस्बी के बयान से भी होती है, उन्होंने कहा था कि उस वक्त हिंदू विरोधी हिंसा में शामिल 21 वर्षीय एडम यूसुफ समेत अन्य आरोपियों ने कोर्ट को बताया था कि वो इस प्रदर्शन के लिए चाकू लेकर आया था और इसके लिए वो सोशल मीडिया से “प्रभावित” हुआ था।

social media

एनसीआरआई के भाषाई विश्लेषण में पाया गया कि हिंदूफोबिया फैलाने के लिए ट्विटर का सहारा लिया गया। ट्विट्स का विश्लेषण करने पर पता चला कि उनमें “हिंदू” शब्द का उल्लेख “मुस्लिम” शब्द के उल्लेख से लगभग 40% ज्यादा था, और हिंदुओं को बड़े पैमाने पर हमलावरों के रूप में भी इन ट्विटस के जरिए चित्रित किया गया था। शोध में पाया गया कि 70% हिंसक ट्विट्स, Google की जिगसॉ सर्विस से सेंटिमेन्ट एनालिसिस के जरिए उसी समय किए गए जब लिसेस्टर में हिंदू विरोधी हिंसा को अंजाम दिया जा रहा था।

#HindusUnderAttack को ट्रेंड करवा के इस हैशटैग के जरिए कई ऐसे मीम शेयर किए गए जिनमें मुस्लिमों का आपत्तिजनक चित्रण किया गया और हिंदू और भारत विरोधी भावनाओं को भड़काया गया। शोधकर्ताओं को अपनी रिसर्च में ऐसे कई बॉट अकाउंट्स मिले जो हिंदू-विरोधी और मुस्लिम-विरोधी दोनों तरह के मैसेज का प्रसार कर रहे थे। बॉट्स की पहचान अकाउंट बनाने के समय और बार बार किए गए ट्वीट्स की संख्या के आधार पर की गई। इनमें से कुछ ने प्रति मिनट 500 बार ट्वीट किया था। लेस्टर में हिंदू विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए लगातार साजिश के तहत फर्जी वीडियो और फोटो शेयर किए गए और इनमें से ज्यादातर ट्विटर अकाउंट्स इंडिया बेस्ड थे।