शिनजियांग। चीन खतरे में है। उइगर मुसलमानों के जातीय नरसंहार के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। चीन के शिनजियांग प्रांत में हुए इस भयावह नरसंहार ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। इसके गवाह भी सामने आए हैं। विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट्स भी दी हैं। अब लंदन में उइगर ट्रिब्यूनल ने इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी हैा। इसमें गवाहों और विशेषज्ञों के बयान शामिल हैं।
इससे पहले चीन में हो रहे इस भयानक नरसंहार के बारे में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में भी शिकायत की गई थी मगर आईसीसी ने ज्यूरिडिक्शन न होने का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए थे। दरअसल चीन ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट पर हस्ताक्षर नही किए थे। एक बड़ी समस्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन का बतौर परमानेंट मेंबर शामिल होना है। यह भी चीन के खिलाफ उइगरों के मानवाधिकार हनन के मुद्दे को उठाने में एक बड़ा अवरोध है। चीन ऐसी किसी भी कोशिश को वीटो कर सकता है।
ऐसे में उइगर ट्राइब्यूनल बेहद ही महत्वपूर्ण हो जाता है। इस ट्राइब्यूनल का गठन वर्ल्ड उइगर कांग्रेस की अपील पर किया गया था। इस ट्राइब्यूनल में तेजी से काम शुरू हो चुका है। आठ सदस्यों का ये ट्राइब्यूनल अब तक चार दिनों की गवाही में 30 से अधिक गवाहों की सुनवाई कर चुका है। खास बात यह है कि इस ट्राइब्यूनल के जरिए दुनिया के सामने ऐसे सबूतों की बाढ़ होगी जो चीन के खिलाफ न्याय की गुहार को अंजाम तक पहुंचा सकेंगे।
यही वजह है कि चीन बुरी तरह भड़का हुआ है। उसने इस ट्राइब्यूनल के खिलाफ हल्ला मचाना शुरू कर दिया है। इसे चीन के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ करार दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इसे एंटी चाइना करार दिया है। एक दूसरे प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने इसे फर्जी और झूठ फैलाने की मशीन करार दिया है। ये चीन की तकलीफों की जिंदा बानगी है।
इस ट्राइब्यूनल के सामने कई हैरान करने वाली सनसनीखेज गवाहियां हो चुकी हैं। शिनजियांग के कूचा से भागे हुए एक कैदी ने अपनी दर्दनाक दास्तां बयां करते हुए बताया कि कैसे अथॉरिटीज ने उसके बच्चों तक को बाहर नही निकलने दिया। इस कैदी को नही पता कि उसके बच्चे जिंदा भी हैं या मर चुके हैं। एक दूसरे कैदी ने चीन के बेहद खतरनाक कैंपों के बारे में भी जानकारी दी। एक उजबेक महिला एवं पूर्व अध्यापिका ने भी इन्हीं भयावह हालातों का वर्णन किया। उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी नसबंदी भी कर दी गई। उसे सीलिंग से लटकाकर एक टाइगर चेयर पर भी बिठाया गया। इस चेयर का इस्तेमाल संदिग्धों को बुरी तरह टार्चर करने के लिए किया जाता है।
ट्राइब्यूनल की सक्रियता का ये आलम है कि इसने चीन से भी सबूतों की मांग की है। ट्राइब्यूनल को उम्मीद है कि चीन भी इस सुनवाई में हिस्सा लेगा। ट्राइब्यूनल सभी पक्षों को सुनकर अपना निष्कर्ष बताना चाहता है। चीन के खिलाफ भयानक हत्याकांड के ठोस सबूत मिल रहे हैं। ह्यूमन राइट्स वाच ने भी अप्रैल में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए चीन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। इस बात की पूरी संभावना है कि ट्राइब्यूनल इसे नरसंहार की श्रेणी में रख सकता है।