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Anti India Taliban: तालिबान का फिर भारत विरोधी चेहरा उजागर, पानीपत जंग के नाम पर बनाई सेना, दुर्रानी से युद्ध में हारे थे मराठे

पानीपत में साल 1761 में अफगानिस्तान के तत्कालीन शासक अहमद शाह दुर्रानी ने मराठों की सेना को पराजित किया था। आमाज न्यूज ने तालिबानी फौज की पानीपत यूनिट के जवानों के फोटो भी दिखाए और बताया कि पाकिस्तान की तरफ इनकी तैनाती की जाएगी।

काबुल। हिजाब विवाद में कूदने से लेकर भारत के खिलाफ जारी गजवा-ए-हिंद को समर्थन देने के बाद अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान ने एक बार फिर भारत विरोधी रवैया दिखाया है। तालिबान ने अपनी सेना की एक यूनिट का नाम ‘पानीपत’ रखा है। इस यूनिट को तालिबान अपने देश के पाकिस्तान से लगते नांगरहाल प्रांत में तैनात कर रहा है। बता दें कि पानीपत में साल 1761 में अफगानिस्तान के तत्कालीन शासक अहमद शाह दुर्रानी ने मराठों की सेना को पराजित किया था। आमाज न्यूज ने तालिबानी फौज की पानीपत यूनिट के जवानों के फोटो भी दिखाए और बताया कि पाकिस्तान की तरफ इनकी तैनाती की जाएगी, ताकि वहां के सैनिक अफगानिस्तान की जमीन पर कब्जा न कर सकें।

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खास बात ये भी है कि अफगानिस्तान के पूर्व में भारत भी है। ऐसे में साफ है कि तालिबान के आतंकी भारत के खिलाफ होने की वजह से ही अपनी फौज की यूनिट का नाम पानीपत रख रहे हैं। बता दें कि इससे पहले तालिबान के रक्षा मंत्री ने अफगानिस्तान के गजनी जाकर भारत पर हमला करने वाले महमूद गजनवी की कब्र पर फूल रखे थे और फातिहा पढ़ा था। ये सब तालिबान तब कर रहा है, जब अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार को अवैध तरीके से हटाने के बाद भी भारत वहां के लोगों के लिए अनाज और दवाइयां मुफ्त में भेज रहा है। तालिबान हर बार इसके लिए भारत का शुक्रिया अदा करता है, लेकिन फिर भारत विरोधी कार्रवाई में जुट जाता है।

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माना जा रहा है कि अफगानिस्तान का तालिबान भारत के विरोध में ये सारे कदम पाकिस्तान की शह पर उठाता है। तालिबान को पाकिस्तान का वरदहस्त पहले से रहा है। अफगानिस्तान में नजीबुल्लाह सरकार के पतन के बाद पाकिस्तान ने ही रूस के खिलाफ अमेरिका की जारी जंग के दौरान तालिबान को पहले वहां स्थापित कराया था। तालिबान ने ही अमेरिका पर हमला करने वाले आतंकी ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी। बाद में 9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने वायुसेना और जमीनी सैनिकों की मदद से तत्कालीनी तालिबान सरकार के कदम अफगानिस्तान से उखाड़ दिए थे, लेकिन पिछले साल के अंत में तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान पर काबिज हो गया।