अंकारा। तुर्किए के राष्ट्रपति रेसिप तय्यप अर्दोआं के लिए आज का दिन बहुत अहम है। तुर्किए में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होने जा रही है। रेसिप तय्यप अर्दोआं करीब 2 दशक से तुर्किए की सत्ता पर हैं, लेकिन पिछले दिनों आए बड़े भूकंप की वजह से तमाम नागरिकों का गुस्सा भी उनके प्रति देखने को मिला था। एक सर्वे के मुताबिक अर्दोआं की हालत विपक्ष के उम्मीदवार केमल किलिकदरोग्लु के मुकाबले कमजोर दिख रही है। तुर्किए के कानून के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 50 फीसदी वोट चाहिए। अगर 50 फीसदी से कम वोट मिले, तो 28 मई को दोबारा चुनाव कराए जाएंगे। रेसिप तय्यप अर्दोआं घोर भारत विरोधी हैं। वो कश्मीर के मसले पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का साथ देते रहे हैं। पाकिस्तान को उनकी सरकार खतरनाक हथियार और ड्रोन भी सप्लाई करती रही है।
तुर्किए में इस साल 6 फरवरी को भीषण भूकंप आया था। इस भूकंप से तुर्किए में बड़े पैमाने पर विनाशलीला मची थी। करीब 50000 लोग भूकंप की वजह से मारे गए। तब विदेशी मदद के जरिए अर्दोआं ने लोगों को राहत पहुंचाई थी। भारत ने भी तब तुर्किए की मदद की थी। तुर्किए में लंबे समय से महंगाई भी चरम पर है। ऐसे में रेसिप तय्यप अर्दोआं को इस मामले में भी जनता की नाराजगी का सामना वोट के जरिए करना पड़ सकता है। अर्दोआं ने अपनी चुनावी रैलियों में अमेरिका से विपक्ष की मिलीभगत का आरोप लगाया था। अर्दोआं ने कहा था कि अगर विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव जीता, तो पश्चिमी देशों के कहने पर तुर्किए का शासन चलने लगेगा।
रेसिप तय्यप अर्दोआं शाही अंदाज का राष्ट्रपति आवास बनाकर भी एक समय चर्चा में रहे हैं। उन्होंने सीरिया में आईएसआईएस को बढ़ावा देने के आरोपों का भी सामना किया है। ग्रीस से भी तुर्किए की पुरानी अदावत रेसिप तय्यप अर्दोआं के दौर में ही तेज हुई। इसके अलावा नाटो का सदस्य होते हुए अमेरिका और अन्य सदस्य देशों के खिलाफ अर्दोआं की बयानबाजी भी खबरों में रही। ऐसे में अब देखना है कि तुर्किए की जनता एक बार फिर रेसिप तय्यप अर्दोआं पर भरोसा जताती है या उनके 20 साल पुराने शासन को खत्म कर देती है।