नई दिल्ली। बांग्लादेश की अदालत ने इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज कर दी है। बांग्लादेश पुलिस ने उन पर राजद्रोह के आरोपों के तहत कार्रवाई की है। चटगांव पुलिस ने चिन्मय कृष्ण को हिंदुओं पर हमले के विरोध में आवाज उठाने के बाद गिरफ्तार किया था। चिन्मय कृष्ण ने हिंदुओं को एकजुट करने के लिए एक रैली का आयोजन किया था जिसमें बांग्लादेश में मंदिरों और हिंदुओं पर हमले को लेकर विरोध जताया गया था। इसी के बाद उनको पुलिस ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।
चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने बुधवार को यह कहते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी क्योंकि दास के पास उनकी ओर से वकील का पत्र नहीं था। चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश कोर्ट के लोक अभियोजक पीपी मोफिजुल हक भुइयां ने कहा कि राज्य पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि वकील रबींद्र घोष, जिन्होंने चिन्मय की अग्रिम जमानत की सुनवाई के लिए आवेदन किया था, ने उनकी ओर से मामला लड़ने के लिए कोई पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं दी थी। इसमें से चिन्मय के वकील सुभाशीष शर्मा भी मौजूद नहीं थे। सुभाशीष ने रवीन्द्र घोष को केस लड़ने के लिए कुछ भी लिखित में नहीं दिया। बाद में कोर्ट ने वकील रवीन्द्र की अर्जी खारिज कर दी।
इस्कॉन से जुड़े दो अन्य लोगों की जमानत याचिका पर भी आज ही सुनवाई होनी थी, मगर वकील की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। हाल ही में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री बांग्लादेश गए थे जहां उन्होंने अपने समकक्ष के साथ बैठक की थी। भारत लगातार बांग्लादेश के समक्ष हिंदुओं की सुरक्षा के मुद्दे को उठा रहा है। भारत का कहना है कि बांग्लादेश सरकार को वहां रहने वाले हिंदुओं को सुरक्षा प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहिए।