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हो गई कोविड-19 से बचाव करने वाली एंटीबॉडी की पहचान, अब देंगे कोरोनावायरस को मात

विश्व में वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रकोप से संक्रमित होने वालों की संख्या 2.38 करोड़ के पार हो गयी है और इस महामारी की चपेट में आने से अब तक आठ लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

नई दिल्ली। विश्व में वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रकोप से संक्रमित होने वालों की संख्या 2.38 करोड़ के पार हो गयी है और इस महामारी की चपेट में आने से अब तक आठ लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केन्द्र (सीएसएसई) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना से विश्वभर में अब तक 23,821,321 लोग संक्रमित हुए हैं और 818,157 लोगों की मौत हुई है तथा डेढ़ करोड़ से अधिक लोग इस महामारी से निजात पा चुके हैं।

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वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में पाए जाने वाले एक एंटीबॉडी की पहचान की है जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स सीओवी-2 संक्रमण से बचाव कर सकता है या उसे सीमित कर सकता है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल यूनिवर्सिटी (यूएमएमएस) के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करने वाले मानवीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (एमएबी) का पता लगाया है जो श्वसन प्रणाली के म्यूकोसल (शरीर के आंतरिक अंगों को घेरे रहने वाली झिल्ली) उत्तकों पर एसीई2 रिसेप्टर पर वायरस को बंधने से रोकता है।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी वे एंटीबॉडी हैं जो समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं और ये सभी कोशिकाएं विशिष्ट मूल कोशिका की क्लोन होती हैं। अध्ययन के मुताबिक इस त्वरित एवं महत्त्वपूर्ण खोज की उत्पत्ति 16 वर्ष पूर्व हुई थी जब यूएमएमएस के अनुसंधानकर्ताओं ने आईजीजी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित की थी जो इसी तरह के वायरस, सार्स के खिलाफ प्रभावी था। जब सार्स-सीओवी-2 वायरस की पहचान की गई और यह फैलना शुरू हुआ तो अनुसंधानकर्ताओं ने महसूस किया कि पहला एमएबी इस नये संक्रमण में भी मदद कर सकता है।

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अनुसंधानकर्ताओं ने पुराने सार्स कार्यक्रम को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, 16 साल पहले विकसित की गई जमी हुई कोशिकाओं को फिर से प्राप्त करना और उन्हें पिघलाना शुरू किया तथा यह निर्धारित करना शुरू किया कि एक नोवल कोरोनावायरस में जो काम आया वह दूसरे के लिए भी काम करता है या नहीं। उन्होंने कहा कि भले ही दोनों कोरोनावायरस में 90 प्रतिशत तक समानता है लेकिन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ने मौजूद कोरोना वायरस से बंधने की कोई क्षमता प्रदर्शित नहीं की है। यह अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।