newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

क्या ऑस्ट्रेलिया ने खोज ली है कोरोना की वैक्सीन, जानिए किस तरह से की जा रही है टेस्टिंग

मौजूदा समय में लगभग हर देश कोरोना के कहर का सामना कर रहा है। ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से यही उम्मीद की जा रही है कि वो जल्द से जल्द कोरोनावायरस की वैक्सीन तैयार करें।

मेलबर्न। दुनिया पर एक लंबे अरसे के बाद एक वैश्विक महामारी का संकट मंडराया है। एक ऐसे वायरस ने दुनिया की परिस्थितियों और परिदृश्य को पलक झपकते ही पलट दिया है जिसकी शुरुआत को लेकर भी अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। विश्व विज्ञान इतना एडवांस हो गया है कि हर चीज का जवाब खोज लिया गया है। अंतरिक्ष की गहराइयों तक इंसान पहुंच गया है। मगर कोरोनावायरस ने सभी बातों को खोखला कर दिया है। मगर इंसान उम्मीद नहीं हारता है, तभी तो एक तरफ चीन की लैब पर ये मौत वाला वायरस बनाने का आरोप है तो कुछ लैब ऐसी भी हैं जो लोगों को जिंदगी देने के लिए रिसर्च कर रही हैं।

मौजूदा समय में लगभग हर देश कोरोना के कहर का सामना कर रहा है। ऐसे में दुनियाभर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से यही उम्मीद की जा रही है कि वो जल्द से जल्द कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करें। जिससे लोगों को इस जानलेवा बीमारी के खतरे से बचाया जा सके। इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर ऑस्ट्रेलिया से एक अच्छी खबर आई है।

कोरोना वायरस के खतरे से जूझ रही पूरी दुनिया को उस वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है, जो लोगों को कोरोना वायरस से बचा सके. जिसके आने के बाद लोग बेखौफ होकर अपने घरों से निकल सकें। खुली हवा में सांस ले सकें और खुलकर अपनी जिंदगी जी सकें. ये इतंजार बहुत जल्द खत्म होने वाला है। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने के बेहद करीब पहुंच गए हैं।

Oxford University Corona Vaccine

ऑस्ट्रेलिया की कॉमनवेल्थ साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (CSIRO) ने दो अलग-अलग तरीके से वैक्सीन की टेस्टिंग शुरू कर दी है. ये परीक्षण अभी जानवरों पर किया जा रहा है। एक वैक्सीन का टेस्ट इंजेक्शन से किया जा रहा है। जबकि दूसरी वैक्सीन के लिए नेजल स्प्रे तैयार किया गया है।

ऑस्ट्रेलिया में जानवरों पर वैक्सीन के ट्रायल के बाद इसे इंसानों पर भी ट्रायल किया जाएगा। कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में जुटे ऑस्ट्रेलियन एनिमल हेल्थ लेबोरेटरी (AAHL) के डायरेक्टर प्रोफेसर ट्रेवर ड्यू के मुताबिक टेस्टिंग के बेहतर नतीजे मिल रहे हैं।

vaccinecoronavirus

डॉ. ट्रेवर ड्यू ने बताया कि परीक्षण किए जा रहे जानवर (फेर्रेट) के फेफड़ों की सेल्स की सतह पर प्रोटीन होता है, जो इंसानों के फेफड़े से बहुत मिलता जुलता है। ऐसा लगता है वायरस जिस तरह से इंसान के फेफड़े पर असर डाला वैसे ही ये फेर्रेट के फेफड़े पर असर डाल रहा है। अब इस वैक्सीन के ट्रायल पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। अगर ये ट्रायल सफल होता है तो पूरी दुनिया को करीब 14 बिलियन डोज चाहिए होंगे।