अस्ताना। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक से अलग मुलाकात की। इस मुलाकात में जयशंकर ने वांग यी से दो टूक कहा कि एलएसी का सम्मान जरूरी है।
Met with CPC Politburo member and FM Wang Yi in Astana this morning.
Discussed early resolution of remaining issues in border areas. Agreed to redouble efforts through diplomatic and military channels to that end.
Respecting the LAC and ensuring peace and tranquility in the… pic.twitter.com/kR3pSFViGX
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 4, 2024
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से कहा कि सीमा क्षेत्र में शांति स्थापित करना जरूरी है। जयशंकर ने वांग यी से काफी देर बात की और उस दौरान भारत की तरफ से कहा कि आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता चीन के साथ संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे। वांग यी से बैठक के बाद जयशंकर ने बताया कि भारत और चीन सीमा क्षेत्र में बाकी मुद्दों के जल्द समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों पक्ष सीमा मुद्दे को हल करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के जरिए आगे बढ़ने के लिए भी सहमत हुए हैं।
बता दें कि चीन और भारत के बीच 2020 से ही एलएसी के मसले पर फिर से तनातनी हो गई। चीन की तरफ से पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश के बाद संबंध बिगड़े। यहां तक कि गलवान घाटी में घुसपैठ करने वाले चीन के सैनिकों से भारत के वीर जवानों ने मोर्चा लिया। इस दौरान चीन के दर्जनों सैनिक मारे गए। जबकि, भारत के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए। तभी से लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर भारत ने बड़ी तादाद में सेना को तैनात कर रखा है। चीन की तरफ से भी काफी सेना तैनात की गई है। दोनों तरफ से भारी और अत्याधुनिक हथियार भी इकट्ठा किए गए हैं। चीन से कई राउंड की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत हो चुकी है, लेकिन तनातनी खत्म नहीं हुई। चीन लगातार पूर्वी लद्दाख पर कब्जे की कुटिल चाल चलता रहा है। साथ ही अरुणाचल प्रदेश को भी दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताकर वो अपना कहता रहता है। भारत ने हमेशा ही कहा है कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग हैं और चीन को के हर दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।