newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Solo Wedding: ना दूल्हा है और ना ही बारात, फिर भी जापान में लड़कियां रचा रही हैं शादी, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

Solo Wedding: अगर कोई आपसे कहे कि अब शादी के लिए दुल्हन को दूल्हे की जरूरत नहीं होगी। एक बार तो आप जरूर चकित रह जाएंगे कि ऐसा कैसा हो सकता है। जी हां, कोई ऐसी शादी, जिसमें ना दूल्हा हो और ना बाराती, फिर भी सजधज कर दुल्हन खड़ी होती है।

नई दिल्ली। हम सब ने यही देखा और सुना है कि दूल्हे के बिना शादी नहीं होती है। यानी शादी के लिए एक दूल्हे और एक दुल्हन होना जरूरी है। लेकिन, अगर कोई आपसे कहे कि अब शादी के लिए दुल्हन को दूल्हे की जरूरत नहीं होगी। एक बार तो आप जरूर चकित रह जाएंगे कि ऐसा कैसा हो सकता है। जी हां, कोई ऐसी शादी, जिसमें ना दूल्हा हो और ना बाराती, फिर भी सजधज कर दुल्हन खड़ी होती है। इस दौरान ना ही शादी की रस्में होती है। बस अपनी पसंद का लहंगा और ज्वैलरी पहने दुल्हन अपनी सहेलियां और परिवार के साथ खाना का इंज्वाय करती है और खूब सारी फोटो खिंचवाती है। भारत में इस तरह की शादी की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। मगर, जापान की लड़कियां पिछले कई सालों से ‘सोलो मैरिज’ करती आ रही हैं।

एक दिन के लिए अपनी लाइफ की क्वीन बनना हर किसी को पसंद होता है, जिसे पूरा करने के लिए जापान की ही तरह कई देशों की महिलाएं सोलो वेडिंग को अपना रही हैं। जापान में ज्यादातर लड़कियां सोलो वेडिंग को अपना रही हैं। वह किसी और के साथ अपना जीवन नहीं बिताना चाहती, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि वह दुल्हन की तरह सजने-संवरने का सपना भी छोड़ दें। वह अपनी पसंद की वेडिंग ड्रेस पहनती हैं, रिंग डिजाइन करवाती हैं और खुद के साथ रहने का वादा करती हैं।

बता दें कि, जापान की एक कंपनी की ओर यह सुविधा दी जा रही है, जिसमें लडकियां बिना दूल्हे के शादी कर सकती है। दरअसल यह कंपनी एक तरह का पैकेज देती है। इस पैकेज में वह लड़कियां जो शादी तो करना चाहती हैं, लेकिन किसी के साथ उम्रभर नहीं रहना चाहतीं। वह एक दिन के लिए खुद को दुल्हन के रूप में देख सकती हैं। इसके लिए कंपनी ने बाकायदा रजिट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराती है। अमेरिका में भी बड़ी संख्या में सिंगल वुमन अब सोलो वेडिंग करना पसंद कर रही हैं। भारत में भी सिंगल महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत की जनगणना 2011 को देखा जाए तो भारत में 714 लाख महिलाएं सिंगल थी। जबकि 2001 में सिंगल लड़कियों की संख्या 512 लाख रही। इसमें भी 23% सिंगल लड़कियां 20 से 24 साल की उम्र की हैं और हर 10 साल में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।