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America: शिकागो में भारत की दमदार धमक, CAA और मानवाधिकारों पर आलोचना वाला प्रस्ताव गिरा धड़ाम

America: माना जा रहा है कि दुनियाभर में भारत की जो साफ छवि है, उसको देखते हुए इस तरह के प्रस्ताव को कोई तवज्जो नहीं मिली और ना ही प्रस्ताव लाने वाले को अहमियत।

नई दिल्ली। अमेरिका के शिकागों में भारत के खिलाफ पेश किए गए एक प्रस्ताव को जबरदस्त शिकस्त मिली है। दरअसल CAA और मानवाधिकारों को लेकर अमेरिका के सबसे शक्तिशाली नगर परिषदों में से एक शिकागो नगर परिषद में भारत की आलोचना करने वाला प्रस्ताव पेश किया गया था। लेकिन इस प्रस्ताव पर 18 के मुकाबले 26 वोट मिले। बता दें कि भारत की आलोचना वाले इस प्रस्ताव के खिलाफ शिकागो नगर परिषद के सदस्यों ने जमकर मतदान किया है। आरोप है कि एंटी इंडिया लॉबी और इस्लामिक संगठनों के इशारे पर परिषद के एक सदस्य ने भारत को बदनाम करने की साजिश से इस प्रस्ताव को पेश किया था। हालांकि उस सदस्य की ये साजिश काम ना आई और ये प्रस्ताव मुंह के बल गिर पड़ा। बता दें कि इस प्रस्ताव में भारत के संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) एवं मानवाधिकार के मुद्दे पर आलोचना की गई थी।

CAA Support

बुधवार को इस प्रस्ताव को लेकर शिकागो की मेयर (महापौर) लोरी लाइटफुट ने कहा कि परिषद के कई सदस्य मतदान (प्रस्ताव के समर्थन में) करने में खुद को असहज महसूस कर रहे थे क्योंकि हमें पूरी तरह से नहीं पता कि आखिर भारत में जमीनी स्तर पर वास्तव में क्या हो रहा है। जिसके बाद भारत की आलोचना करने वाले प्रस्ताव को 18 के मुकाबले 26 मतों से अस्वीकार कर दिया गया।

वहीं इस तरह के प्रस्ताव को लेकर लाइटफुट ने साफ किया कि यह संघीय बाइडन प्रशासन का काम है कि वह ऐसे मुद्दे पर टिप्पणी करे या कोई फैसला लें, यह हमारा काम नहीं है। मेयर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नगर परिषद में प्रस्ताव को लेकर जो आपने अनिच्छा देखी उसकी वजह यह थी कि कई सदस्यों का मानना है कि मामले पर पर्याप्त जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि शिकागो के सामने अपनी ही कई समस्याएं हैं।

माना जा रहा है कि दुनियाभर में भारत की जो साफ छवि है, उसको देखते हुए इस तरह के प्रस्ताव को कोई तवज्जो नहीं मिली और ना ही प्रस्ताव लाने वाले को अहमियत। इस प्रस्ताव को विभाजनकारी मानते हुए परिषद के सदस्य रेमंड ए लोपेज ने कहा कि मैं इसका समर्थन नहीं कर सकता, यह बहुत ही विभाजनकारी है।

उन्होंने कहा कि, हजारों लोगों ने मेरे कार्यालय से संपर्क किया और इस प्रस्ताव का कड़ाई से विरोध किया। भारत के महावाणिज्य दूत ने भी मुझसे संपर्क किया। यह बताता है कि वृहद समुदाय एवं वृहद चर्चा पर इसका कितना प्रभाव है। मैंने अपने सहयोगी से कहा कि वे इसके पक्ष में मतदान नहीं करें।