
किंगडाओ। भारत के सख्त रुख के कारण चीन के किंगडाओ में हो रहे एससीओ देशों की बैठक में संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। दरअसल, एससीओ बैठक में चीन और पाकिस्तान चाहते थे कि संयुक्त बयान में आतंकवाद के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से कही गई अहम बातों को जगह न मिले और पाकिस्तान के बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया जाए। इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो एससीओ की ओर से जारी होने वाले संयुक्त बयान पर भारत की ओर से वो दस्तखत नहीं करेंगे। राजनाथ सिंह का ये रुख देख संयुक्त बयान जारी न करने का फैसला किया गया।
एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के सामने ही पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने के लिए जमकर फटकार लगाई। इस दौरान पाकिस्तान के सबसे अहम दोस्त चीन के रक्षा मंत्री भी चुप्पी साधे रहे। राजनाथ सिंह ने कहा कि राजनाथ सिंह ने कहा कि कई देश आतंकवाद को अपनी नीति बनाए हुए हैं और आतंकियों को शरण देते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस दोहरे चरित्र का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। राजनाथ सिंह ने एससीओ देशों का आह्वान किया कि वे आतंकवाद फैलाने वाले देशों की निंदा करें। राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा और हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं रहने वाले हैं।
एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को सीमा पार आतंकी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी तरह का आतंकवाद आपराधिक और अनुचित है। चाहे वो किसी भी उद्देश्य से, किसी भी समय, किसी भी स्थान पर और किसी भी व्यक्ति की ओर से किया गया हो। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सीमा पार आतंकवाद सहित दहशतगर्दी के निंदनीय कृत्यों के अपराधियों, आयोजकों, उनको फंड देने वालों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत पर बल देता है।