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US: चीन की चालबाजी को देखते हुए अमेरिका ने बढ़ाया रक्षा खर्च, राष्ट्रपति बाइडेन ने दी मंजूरी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 76.8 अरब डॉलर के रक्षा खर्च संबंधी बिल को मंजूरी दी है। इस रकम में से 7.1 अरब डॉलर हिंद-प्रशांत इलाके में अमेरिकी फौजों के संचालन के लिए रखा गया है। रक्षा खर्च बिल में चीन के खिलाफ बड़ी रणनीति तैयार करने की बात भी की गई है।

वॉशिंगटन। चीन की लगातार धमकियों और ताइवान को हासिल करने की कोशिश को देखते हुए अमेरिका ने भी जंग की तैयारी तेज कर दी है। इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 76.8 अरब डॉलर के रक्षा खर्च संबंधी बिल को मंजूरी दी है। इस रकम में से 7.1 अरब डॉलर हिंद-प्रशांत इलाके में अमेरिकी फौजों के संचालन के लिए रखा गया है। रक्षा खर्च बिल में चीन के खिलाफ बड़ी रणनीति तैयार करने की बात भी की गई है। इसमें रूस का भी नाम है और रणनीतिक स्पर्धा की बात भी रखी गई है। रूस पहले से ही अमेरिका का रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहा है। अब चीन भी इसमें शामिल हो गया है। इसी वजह से रक्षा खर्च बिल में दोनों देशों का नाम दिया गया है। इस बिल की कुल खर्च की रकम पिछले साल से 5 फीसदी ज्यादा है।

 

रक्षा खर्च बिल में हाइपरसोनिक मिसाइल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और क्वांटम कम्प्यूटिंग जैसी तकनीकों को भी शामिल किया गया है। बाइडेन की मंजूरी के साथ ही अमेरिका में इस साल रक्षा खर्च को मंजूरी मिल गई है। रक्षा खर्च बिल को राष्ट्रीय रक्षा अधिकरण बिल यानी NDDA का नाम दिया गया। अमेरिका इस वित्तीय वर्ष में सैनिकों के कोरोना वैक्सीनेशन का काम भी करेगा। सैन्य कर्मियों के अलावा उनके परिवार को भी इससे लाभ होगा। खास बात ये है कि अमेरिका में दोनों ही दलों यानी डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी ने इस बिल की तारीफ की है।

बिल के जरिए यौन हमलों समेत अन्य अपराधों के मामले में अमेरिकी सैन्य बलों के कमांडरों के हाथ से अभियोजन छीन लिया गया है। बिल के तहत सेना की तकनीकी के मामले में अमेरिका और चीन में हो रहे शोध और विकास के काम पर भी नजर रखी जाएगी। इसके अलावा अपने साथी देशों पर किसी तरह के हमलों को रोकने के लिए भी अमेरिका काम करेगा। बता दें कि चीन लगातार ताइवान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तो यहां तक कहा है कि अगर जरूरत पड़ी, तो ताइवान को हासिल करने करने के लिए चीन सैन्य शक्ति का भी इस्तेमाल कर सकता है। बीते दिनों चिनफिंग और बाइडेन के बीच बातचीत भी हुई थी। जिसमें चिनफिंग ने बाइडेन से कहा था कि ताइवान के मसले पर अमेरिका को अपने हाथ नहीं जलाने चाहिए।