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UN Voting : यूक्रेन की शांति के लिए UN में पारित किया गया प्रस्ताव, भारत सहित 32 देशों ने वोटिंग से किया परहेज

UN Voting : प्रस्ताव में राजनयिक प्रयासों के लिए समर्थन को दोगुना करने के लिए सदस्य राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाया। यूक्रेन के किसी हिस्से पर रूसी दावों को खारिज प्रस्ताव ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन की पुष्टि की, देश के किसी भी हिस्से पर रूसी दावों को खारिज कर दिया।

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध को प्रारंभ हुए एक साल लगभग पूर्ण हो चुका है। लेकिन आज भी युद्ध जारी है। NATO की तरफ दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाना यूक्रेन कर लिए मुसीबत बन गया। अब इस हमले की पहली बरसी के पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस युद्ध को रोकने के लिए प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव को भारी मतों से मंजूरी दी गई। प्रस्ताव में रूस से यूक्रेन में शत्रुता समाप्त करने और तत्काल अपनी सेना वापस लेने की मांग की गई है। 193 सदस्यीय यूएनजीए में मतदान के दौरान 141 सदस्य दे0शों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। 7 ने प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि 32 सदस्यों गैरहाजिर रहे हैं, जिसमें भारत और चीन भी शामिल थे। ये भारत की तटस्थता की नीति का हिस्सा माना जा रहा है।

आपको बता दें कि रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, इरीट्रिया, माली, निकारागुआ और सीरिया के खिलाफ मतदान करने वाले सात देश थे। राजनयिक चैनलों के माध्यम से शांति की वकालत करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किए गए प्रस्तावों में रूस के खिलाफ मतदान करने से काफी हद तक परहेज किया है। यूक्रेन में बहाल हो शांति प्रस्ताव में जितनी जल्दी हो सके संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों के मुताबिक यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति लाने की आवश्यकता को समझाया।

गौरतलब है कि प्रस्ताव में राजनयिक प्रयासों के लिए समर्थन को दोगुना करने के लिए सदस्य राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाया। यूक्रेन के किसी हिस्से पर रूसी दावों को खारिज प्रस्ताव ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन की पुष्टि की, देश के किसी भी हिस्से पर रूसी दावों को खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी मांग की कि रूसी संघ तुरंत, पूरी तरह से और बिना शर्त के अपने सभी सैन्य बलों को वापस बुला ले और शत्रुता को समाप्त करे। उपाय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है लेकिन राजनीतिक महत्व रखता है।