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जर्मनी : कोरोना से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों का अनोखा तरीका, भीड़ में फैलता है कोरोना? जानने के लिए म्यूजिकल कॉन्सर्ट रखा

जर्मनी (Germany) में वैज्ञानिकों ने कोरोना पर शोध (Research on corona) करने के लिए एक नायब तरीका निकाला है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक कंसर्ट (concert) आयोजित किया है, जिसमें ये पता चल सके कि भीड़ में कोरोना वायरस किस तरह फैल (Coronavirus Spread in Crowd ) सकता है।

नई दिल्ली। जर्मनी (Germany) में वैज्ञानिकों ने कोरोना पर शोध (Research on corona) करने के लिए एक नायब तरीका निकाला है। दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक कंसर्ट (concert) आयोजित किया है, जिसमें ये पता चल सके कि भीड़ में कोरोना वायरस किस तरह फैल (Coronavirus Spread in Crowd ) सकता है। शनिवार को लिपजिग शहर में करीब 1500 लोगों के लिए RESTART-19 नाम से इन्डोर कंसर्ट हुआ, जहां जर्मन सिंगर टिम बेन्जको ने परफॉर्म किया। ये कंसर्ट जर्मनी की यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल हैले (University Hospital Halle) की ओर से तीन अलग-अलग स्थिति में आयोजित किए गए।

germany concert

एंट्री के वक्त वॉलंटियर्स के तापमान की जांच की गई और बीते 48 घंटे के दौरान उनका कोरोना टेस्ट भी किया गया था। शामिल होने वाले लोगों का टेस्ट में निगेटिव आना जरूरी था। इस कंसर्ट से वैज्ञानिक ये पता लगााने की कोशिश कर रहे हैं कि इससे कोरोना कैसे फैल सकता है, ताकि भविष्य में किसी बड़े इवेंट के दौरान उचित तैयारी की जा सके। कंसर्ट में शामिल होने वाले लोगों को मास्क भी पहनने को कहा गया।

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इसके अलावा लोगों को गर्दन में पहनने के लिए एक डिवाइस भी दी गई। इस डिवाइस के जरिए वैज्ञानिकों को हर 5 सेकंड में ये जानकारी मिलती रही कि व्यक्ति स्टेडियम में कहां पर है और किस रास्ते से आ-जा रहा है। इस दौरान रिसर्चर्स ने यह भी पता लगाने की कोशिश की कि स्टेडियम में किन जगहों को लोग सबसे अधिक छूते हैं। कंसर्ट में सिर्फ 18 से 50 साल के लोगों को शामिल किया गया था।

germany concert

तीन तरह से कंसर्ट वैज्ञानिकों ने आयोजित किए। पहली स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया और आने-जाने के लिए सिर्फ दो ही दरवाजे तय किए गए। दूसरी स्थिति में लोगों की एंट्री के लिए आठ दरवाजे तय किए गए और हर दूसरी सीट ब्लॉक कर दी गई। तीसरी स्थिति में भी कंसर्ट आयोजित किया। इस दौरान 12 हजार क्षमता वाले स्टेडियम में काफी कम लोगों को बुलाया गया और उन्हें 5 फीट की दूरी पर बैठने को कहा गया। इस पूरे आयोजन पर 8 करोड़ 74 लाख रुपये का खर्च आया जिसे स्थानीय सरकार चुका रही है। वैज्ञानिक अपनी इस स्टडी का रिजल्ट 4 से 6 हफ्ते में जारी कर सकते हैं।