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Afghan: तालिबान का एक और भारत विरोधी बयान, अब चीन और पाक से इस तरह दिखाई करीबी

Afghan: पाकिस्तान की ओर से जबरन कब्जा किए गए बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह है। इसी को चीन के झिनजियांग प्रांत से जोड़ने की परियोजना का नाम चीन ने सीपीईसी रखा है।

काबुल। अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने भारत विरोधी बयान देते हुए कहा था कि कश्मीरी मुसलमानों की आवाज वो उठाता रहेगा। अब तालिबान ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है। इस बयान से तालिबान की पाकिस्तान और चीन से करीबी साफ दिखती है। भारत के खिलाफ चाल चलते हुए तालिबान ने अब इच्छा जताई है कि अफगानिस्तान भी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC का हिस्सा बने। बता दें कि चीन की ये परियोजना पीओके से होकर गुजरती है। इस वजह से भारत इसका विरोध करता रहा है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान को सीपीईसी से जोड़ने की जरूरत है। उसने ये भी कहा कि आतंकी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान TTP से जुड़ी पाकिस्तान की चिंताओं को भी तालिबान दूर करेगा।

TALIBAN DILAWAR

आतंक फैलाने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद दो दिन पहले काबुल पहुंचे थे। फैज और तालिबान के वरिष्ठ नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बीच बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में भारत के खिलाफ और कदम उठाने पर दोनों पक्ष फैसला ले सकते हैं। तालिबान ने इससे पहले कहा था कि वो भारत से दोस्ती करना चाहता है। उसने कहा था कि भारत को अफगानिस्तान में अपने सारे प्रोजेक्ट्स पूरे करने चाहिए।

अब आपको बताते हैं कि आखिर सीपीईसी क्या है। पाकिस्तान की ओर से जबरन कब्जा किए गए बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह है। इसी को चीन के झिनजियांग प्रांत से जोड़ने की परियोजना का नाम चीन ने सीपीईसी रखा है। ये चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड का हिस्‍सा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से ये गुजरता है। 60 अरब डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे परियोजना की सुरक्षा के लिए चीन पूरी तरह पाकिस्तान पर निर्भर है।