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‘This time Crossed 400’ in Britain : ब्रिटेन में हुआ ‘अबकी बार 400 पार’, ऋषि सुनक की हार के पीछे ये रहे कुछ खास कारण

‘This time Crossed 400’ in Britain : अभी तक के नतीजों में लेबर पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 405 सीटों पर कब्जा कर चुकी है जबकि सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी अभी तक सिर्फ 111 सीटें ही जीत पाई है। 650 सांसदों वाले सदन में बहुमत के लिए 326 सीटों चाहिए होती हैं। इस प्रकार से लेबर पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है।

नई दिल्ली। ब्रिटेन में चुनाव के बाद वोटों की गिनती जारी है, हालांकि जीत-हार तय हो चुकी है। अभी तक के नतीजों में लेबर पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 405 सीटों पर कब्जा कर चुकी है जबकि सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी अभी तक सिर्फ 111 सीटें ही जीत पाई है। 650 सांसदों वाले सदन में बहुमत के लिए 326 सीटों चाहिए होती है। इस प्रकार से लेबर पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। अपनी हार को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस्तीफा दे दिया है। कीर स्टार्मर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री होंगे। हम आपको बताते हैं कि बीते 14 साल से सत्ता में काबिज रहने वाली कंजर्वेटिव पार्टी क्यों हार गई, आखिर क्या वो वजह रही कि ऋषि सुनक को लोगों ने दोबारा मौका नहीं दिया।

ऋषि सुनक जब प्रधानमंत्री बने थे तो ब्रिटेन में रहने वाले भारतवंशी लोगों के साथ भारत में भी लोग बहुत ज्यादा उत्साहित थे। उनकी सनातन के प्रति आस्था को देखकर सोशल मीडिया पर हमेशा उनके चर्चे होते रहते थे। लेकिन ऋषि सुनक से अगर सबसे ज्यादा कोई नाराज़ है तो ब्रिटेन में बसे भारतीय ही हैं और इस बात का दावा ब्रिटेन की मीडिया ने किया है। ब्रिटेन में लगभग 25 लाख भारतीय वोटर हैं। इस तरह से भारतवंशियों की नाराजगी सुनक के लिए भारी पड़ गई। ऋषि सुनक द्वारा विजा वीजा नियमों में अपनाई सख्ती के चलते भारतवंशी उनसे खुश नहीं थे।

इसके साथ ही आर्थिक मोर्चे पर भी ऋषि सुनक कुछ खास नहीं कर सके। सुनक सरकार में महंगाई बेतहाशा बढ़ गई, इसके अतिरिक्त सरकार ने टैक्स में भी बढ़ोत्तरी कर दी इसमें एनआरआई टैक्स भी शामिल था, जिसके चलते सुनक का विरोध होने लगा। हाउसिंग समस्या से निपटने में भी सुनक सरकार विफल दिखाई दी जबकि लेबर पार्टी ने चुनाव में इस मुद्दे को भुनाते हुए हाउसिंग स्कीम के तहत बड़ी संख्या नए मकान बनाने का रोड मैप तैयार किया, जिसे लोगों ने हाथों हाथ लिया और लेबर पार्टी 14 साल बाद सत्ता में वापसी कर सकी।