नई दिल्ली। हर साल किए जाने वाला आशा दशमी व्रत का अपना खास महत्व होता है। इस साल यह व्रत कल (19 जुलाई) को किया जाएगा। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कहा जाता है कि यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ किया जा सकता है। मान्यता है कि आशा दशमी का व्रत अच्छा वर और पति और संतान की अच्छी सेहत के लिए किया जाता है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से इस व्रत के महत्व को बताया था। कहा जाता है कि एक बार व्रत शुरू करने के बाद से यह व्रत तब तक करना चाहिए, जब तक कि आपकी मनोकामना पूरी न हो जाए।
आशा दशमी व्रत को आरोग्य व्रत का नाम भी दिया गया है। क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से शरीर हमेशा निरोगी रहता है। साथ ही मन में भी शुद्धता का वास होता है। व्यक्ति को असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है। यदि कोई कन्या अगर इस व्रत को करे तो उसे श्रेष्ठ वर की प्राप्ती होती है, वहीं यदि कोई स्त्री इस व्रत को करें तो उसके जीवन में सुख रहता है। साथ ही शिशु की दंतजनिक पीड़ा भी इस व्रत के प्रभाव से दूर हो जाती है।
इस तरह करें व्रत
माना जाता है कि यह व्रत 6 महीने, 1 साल, 2 वर्ष या फिर मनोकामना पूरी होने तक किया जाता है। आशा दशमी व्रत में दशमी तिथि के दिन सुबह नित्य कर्म, स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं का पूजन करना चाहिए। रात्रि के समय 10 आशा देवियों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन माता पार्वती का भी पूजन किया जाता है। दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप, दीप, नैवेद्य, फल समर्पित करना चाहिए।
इस मंत्र से होगा उद्धार
आशा दशमी के दिन ‘आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा: भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इसका अर्थ होता है कि ‘हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों। मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें।’ ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और इसके बाद खुद प्रसाद ग्रहण करें। व्रत पूजा में कार्य सिद्धि के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करें।