नई दिल्ली। अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) आज यानी 9 अप्रैल को है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इसे प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जो चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। इस बार व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, ऐसे में इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जा रहा है।
प्रदोष व्रत के दिन भोलनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करें। हर प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत के दिन सुबह-सुबह स्नानआदि कर व्रत का संकल्प लें। फिर भोलनाथ की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा करें। फिर शाम के समय प्रदोष काल में दोबारा इसी तरह पूजा करें। इस प्रकार जो भी भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करता है उसपर शिव और पार्वती की कृपा बनी रहती है और उसे सभी सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जप करने से भोले भंडारी प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल प्रदान करते हैं।
शिव मुल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
रुद्र गांयत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥