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Chath Pooja 2022: 28 अक्टूबर से बिहारियों के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत, जानें सूर्य को अर्घ्य देने का सही समय

Chath Pooja 2022: बिहारी समाज ही एक ऐसा समाज है जो सूर्य के हर रूप की पूजा करता हैं। उगते सूर्य को भी अर्घ्य देता हैं और डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देता हैं। छठ पूजा की शुरूआत कल से हो रही हैं। कल 28 अक्टूबर को नहाए-खाए हैं। आइए हम आपको बताते हैं कि नहाए खाए क्या होता है

नई दिल्ली। हिंदू धर्म के सभी त्योहारों को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा बिहारियों का महापर्व है। इस दिन का हर बिहारी को बड़े बेसब्री से इंतजार होता है। छठ पूजा दीपावली के ठीक 6 दिन बाद होती है। यह त्योहार 4 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। पहले नहाए खाए होता है। फिर खरना होता है, उसके बाद शाम को सूरज भगवान को अर्घ्य दिया जाता है, उसके बाद अगले दिन उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। बिहारी समाज ही एक ऐसा समाज है जो सूर्य के हर रूप की पूजा करता है। उगते सूर्य को भी अर्घ्य देता है और डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देता है। छठ पूजा की शुरूआत कल से हो रही है। कल 28 अक्टूबर को नहाए-खाए है। आइए हम आपको बताते हैं कि नहाए खाए क्या होता है इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं क्या करती हैं।

नहाए खाए

नहाए-खाए छठ पूजा के पहले दिन होता हैं। जो कि 28 अक्टूबर को पड़ रहा हैं, यानी शुक्रवार के दिन से छठ पूजा के त्योहार की शुरूआत हो जाती हैं। इस दिन महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं। इसके बाद घर में चने की दाल, भात और लौकी की सब्जी प्रसाद के रूप में बनता हैं। इस भोजन में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता हैं।

खरना-

इस महापर्व का दूसरा दिन खरना के रूप में मनाया जाता हैं, जो कि 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन गुड़ के खीर को प्रसाद के रूप में मनाया जाता है। जिसे रात को ग्रहण किया जाता हैं। इसके बाद इशे प्रसाद के रूप में बांटा भी जाता हैं। खरना के बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता हैं।

शाम का अर्घ्य-

इस महापर्व का तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं, जो कि 30 अक्टूबर को है। जो भी महिलाएं या पुरूष छठ पूजा का व्रत करते हैं, वो इस दिन पानी में खड़े होकर सूर्य के डूबने के वक्त उन्हें अर्घ्य देती हैं। इस दिन सूर्यास्त का समय 05 बजकर 37 मिनट हैं।

सुबह का अर्घ्य-

इस महापर्व का चौथा दिन सुबह के सूर्य को अर्घ्य देकर किया जाता हैं, जो कि 31 अक्टूबर को हैं। इस दिन व्रत रखने वाले पुरूष और महिलाएं पानी के अंदर खड़ी होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद व्रत का समापन हो जाता हैं। इसके बाद व्रत का पारण किया जाता हैं। इस दिन सूर्य उदय का समय 06 बजकर 31 मिनट का हैं।