नई दिल्ली। हिंदू धर्मो में लगभग हर महीने व्रतों और त्योहारों का तांता लगा रहता है। इन सभी व्रत-त्योहारों को मनाने का तरीका, उनकी पूजा और उनका महत्व अलग-अलग होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है और मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान से की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा पूरे भक्ति भाव से करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। फाल्गुन माह में मासिक दुर्गाष्टमी 10 मार्च, गुरुवार को पड़ रही है, इस दिन मां की विधि-विधान से पूजा करने से घर में खुशहाली, सुख-समृद्धि और धन का आगमन होता है, तो आइये आपको बताते हैं ज्योतिषाचार्य दुर्गाष्टमी की पूजा-विधि व शुभ मुहूर्त के विषय में क्या कह रहे हैं…
दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 मार्च को तड़के 02 बजकर 56 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो कि 11 मार्च को सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक बनी रहेगी। इसका व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा। दुर्गाष्टमी पर माता रानी की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 मार्च को दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है। लेकिन प्रीति योग आज पूरे दिन रहेगा। प्रीति योग को मांगलिक कार्यों को करने के लिए काफी शुभ माना जाता है।
दुर्गाष्टमी की पूजा कैसे करें?
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, उसके बाद पूजा-स्थल का गंगाजल से शुद्धिकरण करें। उसके बाद दीप प्रज्वलित करके मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। इसके बाद माता रानी को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करके फल और मिठाई प्रसाद के रूप में उन्हें अर्पित करें। इसके बाद मां को सात्विक चीजों का भोग लगाएं और धूपदीप आदि जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मां की आरती करें और उन्हें प्रणाम करें।