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Chhath Puja 2021: जानें सूर्य को अर्घ्य देनें का समय और महत्व

Chhath Puja 2021: छठ पूजा को डाला छठ या सूर्य षष्ठी पूजा भी कहा जाता है। छठी मईयां की कृपा से वंश वृद्धि का आशीष मिलता है। संतान का जीवन सुखी होता है और सूर्य देव की कृपा से निरोगी जीवन मिलता है।

नई दिल्ली। आस्था का महापर्व छठ 8 नवंबर से शुरू हो गया। ये पर्व चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है जिसे बिहार, झारखंड और यूपी के कई जिलों में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। आज यानी बुधवार को इस पर्व में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं, गुरुवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। जिसके बाद इस पर्व का समापन हो जाएगा।

छठ पूजा को डाला छठ या सूर्य षष्ठी पूजा भी कहा जाता है। छठी मईयां की कृपा से वंश वृद्धि का आर्शिवाद मिलता है। संतान का जीवन सुखी होता है और सूर्य देव की कृपा से निरोगी जीवन मिलता है।

सूर्य देव को अर्घ्य देने का अलग महत्व

छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने का अलग महत्व है। षष्ठी तिथि यानी आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा 2021 में अर्घ्य देने का मुहूर्त-

आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय: शाम 05 बजकर 30 मिनट पर।

कल प्रात: उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय: प्रात: 06 बजकर 41 मिनट पर।

जानें छठ पूजा विधि

आज शाम के समय परिवार का पुरुष सदस्य डाल को घाट पर लेकर जाते हैं। वहां व्रती स्नान के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पूजा करते हैं। साथ ही दूध और गंगा जल से अर्घ्य दिया जाता है। घाठ पर बनी छठ माता की पूजा की जाती है। अगले दिन फिर घर पर स्नान किया जाता है और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर प्रसाद बांटा जाता है। इसके बाद व्रती पारण करके अपने व्रत को पूरा करते हैं।

अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ध्यान

— सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय बर्तन चांदी, ग्लास या प्लास्टिक का नहीं होना चाहिए।

— छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर अलग से ही पकाना होता है।

— व्रतियों को बेड पर नहीं सोना चाहिए। उन्हें फर्श पर चादर बिछाकर सोना चाहिए।