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Shardiya Navratri 2023: प्रयागराज के मां ललिता धाम का है महाभारत काल से गहरा रिश्ता, जिले के तीन शक्तिपीठों में से है एक

Shardiya Navratri 2023: धर्म और अध्यात्म की नगरी संगम नगरी प्रयागराज के बीचों बीच दुर्गा के एक रूप मां ललिता का एक धाम है। इस आदि शक्ति पीठ का वर्णन देवी पुराण से मिलता है। यही कारण है कि अमावस्या एवं नवरात्र के अलावा आम दिनों में भी हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां देवी सती के हाथ की अंगुलियां गिरी थीं।

नई दिल्ली। 15 अक्टूबर से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो रहा है। नवरात्रि के 9 दिन देवी दुर्गा की उपासना की जाती है। वहीं इसकी दसवीं तिथि को विजयादशमी या दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्त्व है। देशभर में इस त्यौहार को बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है। लोग नवरात्रि के मौके पर देवी दुर्गा की पूजा और दर्शन करने के लिए देश के अलग-अलग कोनों में मौजूद मां दुर्गा के पवित्र मंदिरों में जाते हैं। माता वैष्णो देवी, नैना देवी, तारापीठ आदि माता के कुछ प्रमुख दरबार हैं जहां जाकर श्रद्धालु मां दुर्गा के दर्शन करते हैं। ऐसे में आज हम आपको देवी दुर्गा के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका काफी बड़ा महत्त्व है और यही नहीं इस मंदिर का महाभारत काल से भी बहुत गहरा रिश्ता है।

धर्म और अध्यात्म की नगरी संगम नगरी प्रयागराज के बीचों बीच दुर्गा के एक रूप मां ललिता का एक धाम है। इस आदि शक्ति पीठ का वर्णन देवी पुराण से मिलता है। यही कारण है कि अमावस्या एवं नवरात्र के अलावा आम दिनों में भी हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन-पूजन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां देवी सती के हाथ की अंगुलियां गिरी थीं। वहीं ये भी माना जाता हैं कि जो भक्त यहां सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगते हैं वह पूरी जरूर होती है। यह जिले के तीन शक्तिपीठों में एक है। यहां मां ललिता देवी के साथ ही यहां भगवती महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती भी विराजमान हैं। इनके दर्शन-पूजन के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं।

वही बात करें तो शक्तिपीठ में पांच मंदिर स्थित है। इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन के लिए सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्रि के नौ दिनों में रोजाना माता का दिव्य श्रृंगार भी किया जाता है। सुबह करीब 5ः30 बजे मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं और पूरे विधि-विधान के साथ देवी की पूजा-अर्चना की जाती है और शाम 7ः30 बजे मां की भव्य आरती की जाती है। मां के पवित्र मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम सप्तचंडी का पाठ और पूजन किया जाता है। साथ ही हर माह अष्टमी तिथि को ललिता देवी का दर्शन-पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है। ललिता माता का मंत्र समस्त सुखों को प्रदान करने वाला मंत्र है। माता को हलुवे का भोग अत्यंत प्रिय है।

श्री यंत्र के आधार पर बना है ये मंदिर

इस शक्तिपीठ की कुल लम्बाई 108 फीट की है साथ ही मंदिर श्री यंत्र के आधार पर बना हुआ है। ललिता देवी मंदिर के पुजारी शिव मूरत मिश्र जी ने बताया कि जब पांडव लाक्षा गृह से बच के निकल गए थे तो वे इसी धाम में एक रात रुके थे और इसी जगह पर देवी ललिता की स्तुति की थी। आज भी यहां पांडव कूप मौजूद है जिसके चारों ओर अब जलियां लगा दी गई है। मन्दिर परिसर के अन्दर एक पीपल का पेड़ भी मौजूद है जहां अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त पेड़ के चारों तरफ़ धागा बांधते हैं।