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Chaitra Navratri 2022: साल में दो बार नहीं, चार बार पड़ती है नवरात्रि?, जानिए इनके महत्व और मान्यताएं

Chaitra Navratri 2022: देवी पार्वती ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए 9 दिनों में 9 रूपों को प्रगट किया था। कहा जाता है कि इन नौ रूपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक चला। इन्हीं नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

नई दिल्ली। आज यानी 2 अप्रैल से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। आज नवरात्रि का पहला दिन है और इसमें मां शैलपुत्री की पूजा करने का विधान है। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों और नौ रातों तक मां शक्ति की उपासना की जाती है, इसलिए इसे ‘नवरात्रि’ कहा जाता है। इसी दिन से हिन्दू नववर्ष संवत्सर यानी ‘गुड़ी पड़वा’ का भी प्रथम दिन होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए 9 दिनों में 9 रूपों को प्रगट किया था। कहा जाता है कि इन नौ रूपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक चला। इन्हीं नौ दिनों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर लोग साल में पड़ने वाली दो नवरात्रि के बारे में जानते हैं और वो हैं ‘शारदीय नवरात्रि’ और ‘चैत्र नवरात्रि’। लेकिन क्या आप जानते हैं हिन्दू शास्त्रों के अनुसार साल में चार नवरात्रि पड़ती है? शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के अलावा बाकी दो नवरात्रि गुप्त होती हैं, जो पौष और अषाढ़ महीने में आती हैं।

चैत्र नवरात्रि (Chaitr Navratri)

चैत्र के महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि को ‘चैत्र नवरात्रि’ के नाम से जाना जाता है। इसी महीने से हिन्दू नव वर्ष का शुभारंभ भी हो जाता है। इसमें मां शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri)

साल की ये नवरात्रि आश्विन माह में पड़ती है, इसमें भी 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें जगह-जगह पूजा-पांडाल सजाए जाते हैं, जिसमें विशाल दुर्गा मां की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। कहा जाता है कि इसी महीने में महिषासुर और मां शक्ति का युद्ध हुआ था जो नौ महीने चला था। अश्विन माह के प्रतिपदा के दिन उन्होंने महिषासुर का वध कर दिया था।

NAVRATRI 4TH DAY

गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri)

ये नवरात्रि पौष और अषाढ़ के महीने में पडती हैं, हालांकि ये नवरात्रि गृहस्थों के लिए नहीं होती है। इसमें तंत्र साधना की जाती है। इसे मुख्य रूप से तंत्र साधना कर शक्ति अर्जित करने की मंशा से तांत्रिक मनाते हैं। इस नवरात्रि का आम प्रचलन न होने के कारण इसे ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है। संक्षिप्त रूप से कहा जाए तो चैत्र नवरात्रि में कठिन तप किया जाता है। वहीं, शारदीय नवरात्रि में माता की सरल तरीके से पूजा होती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में कई तरह के तंत्र-मंत्रों को जाग्रत किया जाता है।