नई दिल्ली। इस साल नवरात्रि (Navratri 2020) 17 अक्टूबर से शुरू होने वाले हैं। माता की पूजा (Worship of Mata Lakshmi) पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। इसमें जौ बोने (Barley in Navratri) की भी परंपरा है। जो सदियों से चली आ रही है। लेकिन जौ बोने के पीछे का क्या कारण है ये हम आपको बताएंगे।
जौ ब्रह्म का स्वरूप
जौ को ब्रह्म का स्वरूप माना गया है। प्राचीन काल में जब हवन किया जाता था तब आहुति देने की परंपरा थी। इसी तरह से हमें अन्न यानी जौ का भी सम्मान करना चाहिए। इसी से इसके महत्व का पता चलता है।
जौ बोने की मान्यता
नवरात्र के दौरान जौ बोया जाता है। जौ जातक के भविष्य में आने वाले संकेतों को भी दर्शाती है। मान्यता है कि नवरात्र में जब जौ बोई जाती है और वो जितनी बढ़ती है उतनी ही माता रानी की कृपा बरसती है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
अगर जौ के अंकुर 2 से 3 दिन में आ जाते हैं तो यह बेहद शुभ माना जाता है। वहीं, अगर जौ नवरात्रि खत्म होने तक न उगे तो यह अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि अगर आपने जौ ठीक नहीं बोया है तो भी जौ नहीं होता है।