नई दिल्ली। भाई-बहन के प्रेम को दर्शाता राखी का पर्व केवल धागों तक ही सीमित नहीं होता। ये महज एक जरिया होता है। राखी के त्योहार के साथ कई धार्मिक क्रियाएं भी शामिल होती हैं। इस पर्व के जरिए भाई-बहन लौकिक और अलौकिक दोनों रूपों में ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं। इसके लौकिक रूप से देखा जाए तो इसमें बहनें भाई को राखी बांधती हैं और भाई बहनों को उपहार देते हैं और अलौकिक रूप से देखें तो इसमें राखी की सजी थाली में दिए की लौ में अग्नि देव साक्षी बनते हैं। इसके अलावा, मां लक्ष्मी, सरस्वती और श्री गणेश अक्षत, चंदन और सिंदूर में आशीर्वाद बनकर भाई-बहन को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन लोगों के भाग्य में ये त्योहार मनाना ज्यादा दिन नहीं लिखा होता। बद्किस्मती से उनके त्योहार पर सूतक का ग्रहण लग जाता है। ऐसे लोग जो सूतक लगने के कारण राखी का त्योहार नहीं मना पाते हैं। ज्योतिष में ऐसे लोगों के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। तो आइये आपको बताते हैं कि कौन से हैं वो नियम…
क्या होता है सूतक?
1.जब किसी कुल या परिवार में किसी बच्चे का जन्म होता है तो उस घर में जन्म का सूतक लग जाता है, जो 12 दिनों का सूतक लगता है।
2.परिवार या वंश में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर मृत्यु का सूतक लगता है। अपने परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर 12 दिनों का और किसी विवाहित कन्या के माता-पिता की मौत होने पर 4 दिनों का सूतक लगता है।
3.रक्षाबंधन के दिन से 12 दिनों के भीतर परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु हुई हो, तो सूतक लग जाता है।
4.सूतक काल में कोई भी पूजा-पाठ या धार्मिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
सूतक में कैसे मनाएं राखी का पर्व?
1.सूतक लगे घर में बहनें भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं, लेकिन तिलक सिंदूर और आरती जैसे धार्मिक रीतियों को शामिल न करें।
2.भाई या बहन जो भी छोटे हैं वो प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन सूतक के दौरान चरण स्पर्श करना वर्जित है।
3.इस दौरान बहने राखी बांधते समय मन में राखी के मंत्रों का ध्यान कर सकती हैं, लेकिन इनका उच्चारण करना वर्जित है।