नई दिल्ली। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त, सोमवार को पड़ रही है। हिंदी शास्त्रों के मुताबिक, भगवान कृष्ण ने अपना अवतार भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को मथुरा में लिया था। उन्होंने अपना ये अवतार अत्याचारी कंस के विनाश के लिए लिया था। इस खास मौके पर पूरे देश में श्रीकृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इसके अलावा लोग अपने घरों में और मंदिरों में बाल गोपाल के जन्मोत्सव का आयोजन करते हैं और व्रत भी रखते हैं। कहा जाता है कि अगर नि:संतान दंपत्ति इस दिन व्रत और पूजा करें तो उन्हें विशेष फल मिलता है।
श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाने का महत्व
जन्माष्टमी पर लोग श्रीकृष्ण को खीरा चढ़ाते हैं। इसे चढ़ेने के पीछे खास कारण है। ऐसा माना जाता है कि लड्डू गोपाल को खीरा अर्पित करने से वो काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे संकट हर लेते हैं। इस दिन ऐसा खीरा लाया जाता है जिसमें थोड़ा डंठल और पत्तियां हो।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, जन्मोत्सव के समय खीरा काटने को काफी शुभ माना जाता है। इसके पीछे का कारण ये है कि जिस तरह एक मां की कोख से बच्चे के जन्म के बाद से अलग करने के लिए गर्भनाल काटा जाता है, उसी तरह खीरा और उससे जुड़ी डंठल को गर्भनाल समझ काटा जाता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव
निशिता पूजा का समय – 11:59 पी एम से 12:44 ए एम, अगस्त 31
अवधि – 00 घण्टे 45 मिनट्स
दही हाण्डी मंगलवार, अगस्त 31, 2021 को
कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत के नियम
कृष्ण जन्माष्टमी पर कुछ व्रत के नियम भी पालन करने होते हैं। जो इस प्रकार हैं-
— इस दिन किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिए।
— जन्माष्टमी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद एक निश्चित समय पर तोड़ें।
— जन्माष्टमी का पारण सूर्योदय के पश्चात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद किया जाना चाहिये।