नई दिल्ली। 9 दिसंबर को आज चंपा षष्ठी मनाई जा रही है। ये दिन भगवान भोले भंडारी को समर्पित है। इस दिन शिव जी के मार्कंडेय स्वरूप की पूजा का विधान है। स्कंदपुराण के अनुसार, ये पर्व है ऐसे में इसे स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कई जगहों पर भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत भी किए जाते हैं। चंपा षष्ठी का एक नाम छठ भी है। ऐसे में कई जगहों पर इसे छठ पर्व भी कहा जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं क्या है इस पूजा का महत्व…
इस दिन व्रत और पूजा करने का महत्व
ऐसा माना जाता है जो भी भक्त इस दिन भगवान भोले भंडारी की पूजा करते हैं उनकी सारी परेशानियां खत्म हो जाती है। उन्हें सुख-शांति के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। कहा ये भी जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में प्रसन्नता बनी रहती है। इसके अलाव व्रत करने पर इस जन्म के साथ ही पिछले जन्म के पापों से भी छुटकारा मिलता है। वहीं इस दिन भगवान कार्तिकेय का भी व्रत रखा जाता है जो कि मंगल ग्रह के स्वामी हैं। जिन लोगों का मंगल कमजोर है वो लोग इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करते हैं तो उन्हें फायदा मिलता है।
भोले भंडारी को बैंगन-बाजरे का भोग
इस छठ पर्व पर भगवान शिव को बैंगन और बाजरा का भोग लगाया जाता है। ये खासतौर पर महाराष्ट्र में धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन बाबा के मार्कंडेय स्वरूप को पूजा जाता है। इस सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद शिव जी का ध्यान करना चाहिए। जो लोग मंदिर जा सकते हैं वो मंदिर में जाएं नहीं तो घर पर भी शिव जी की पूजा की जा सकती है। अब शिव जी को दूध और गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान को फूल, अबीर, बेल पत्र चढ़ाएं साथ ही देसी खांड का भोग लगाकर बांटे।
ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा
स्कंद षष्ठी के दिन आपको सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान आदि करना चाहिए। इसके बाद सच्चे मन से पूजा का संकल्प लें। अह दक्षिण की ओर मुंह करके भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। भगवान कार्तिकेय की पूजा में उन्हें घी, दही और जल से अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को फूल अर्पित करें। इस दिन खासतौर से भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल चढ़ाए जाते हैं। इस दिन रात को जमीन पर ही सोना चाहिए। इस दिन तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए साथ ही ब्रहाचर्य का भी पालन किया जाना चाहिए।