राजनीति के कीचड़ को साफ करने का दावा करनेवाले अरविंद केजरीवाल गले तक इसमें कैसे फंस गए!

देश की राजनीति बदलने की बात कर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाले अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार सत्ता हासिल करना चुनाव प्रचार के कुछ दिनों तक आसान लग रहा था।

Avatar Written by: February 3, 2020 6:20 pm

देश की राजनीति बदलने की बात कर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाले अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार सत्ता हासिल करना चुनाव प्रचार के कुछ दिनों तक आसान लग रहा था। लेकिन दिल्ली के चुनावी समर में जैसे-जैसे वोटिंग का दिन नजदीक आने लगा है आम आदमी पार्टी को भी अब अपनी जीत को लेकर संशय की स्थिति में देखा जा रहा है। दिल्ली चुनाव को लेकर जैसे-जैसे भाजपा सक्रिय होती जा रही है आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव जीतने का रास्ता मुश्किल होता जा रहा है। कांग्रेस 2015 चुनाव की तरह ही इस बार भी ज्यादा सहज नहीं दिख रही है। लेकिन भाजपा की सक्रियता ने केजरीवाल के माथे पर सिकन ला दी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपने कैंपेन की पंचलाइन हीं बदल दी है। आप ने अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत ‘अच्छे बीते 5 साल, लगे रहो केजरीवाल’ से की थी लेकिन अब इसको बदलकर ‘अच्छे होंगे 5 साल, दिल्ली में तो केजरीवाल’ हो गई है। मतलब साफ है कि जिस विकास का दावा करके चुनाव कैंपेन की शुरुआत अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने शुरू की थी उसपर उनको ही भरोसा नहीं हो पा रहा है। केजरीवाल कई टॉउन हॉल प्रोग्राम में इस बात को लेकर आंकड़ा भी नहीं दे पाए कि उन्होंने जो विकास का दावा किया उसमें वह कहां तक सफल हो पाए हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी का दावा है कि पहले से तय रणनीति के तहत ये पंचलाइन बदली गई है। अब इसी नई पंचलाइन के साथ दिल्ली में आम आदमी पार्टी के होर्डिंग भी बदल दिए गए हैं।arvind kejriwal लेकिन इस सबसे ज्यादा जो चौंकानेवाले आंकड़े इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को लेकर आया है वह जरूर इस तरफ इशारा कर रही है कि उन्होंने देश की राजनीति को बदली नहीं बल्कि उसी राजनीति का हिस्सा बन गए जो पहले से देश में चली आ रही है। आपको याद होगा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल राजनीति के कीचड़ को साफ करने के लिए सियासी मैदान में उतरे थे। उन्होंने दावा किया था कि आम आदमी पार्टी किसी दागी को उम्मीदवार नहीं बनाएगी। उनकी पार्टी थ्री सी (करेक्टर, करप्शन और क्राइम) के अपने सिद्धांत से कोई समझौता नहीं करेगी। लेकिन जिस बात को आधार बनाते हुए केजरीवाल सत्ता में आए, वे उसे ही भुला बैठे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने अन्य पार्टियों की तरह व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर जनता को ठगने के अलावा कुछ नहीं किया।अरविंद केजरीवाल

अब एक आंकड़े पर नजर डालिए तो आपको पता चलेगा कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट आखिर इस पार्टी को लेकर कहती क्या है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के आधे से अधिक उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज़ हैं। 8 फरवरी को दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले एडीआर ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया। चुनाव में कुल 673 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि 133 उम्मीदवार (20 प्रतिशत) आपराधिक मामलों में लिप्त हैं। जबकि 104 (15 प्रतिशत) गंभीर आपराधिक मामले में शामिल हैं। आम आदमी पार्टी के 70 उम्मीदवारों में से 36 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

रिपोर्ट की सबसे गंभीर बात ये है कि जितने भी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों में केस दर्ज हैं, उनमें से 32 प्रत्याशी महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोपी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ’32 में से एक उम्मीदवार ने अपने ऊपर रेप (आईपीसी की धारा-376) का केस होने की घोषणा की है।’ जबकि, करीब 4 उम्मीदवारों ने हत्या की कोशिश और 20 ने खुद पर दोषी ठहराए जाने का केस चलने का बात कही है। जबकि, 8 उम्मीदवारों पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के आरोप में केस हैं।Arvind Kejriwal, cm delhi

अब आप कहेंगे कि इनमें तो अन्य पार्टियों के उम्मीदवार भी शामिल होंगे तो हम आपको बता दें कि इसको लेकर मेरा जवाब है कि हां हैं, लेकिन केजरीवाल ने पार्टी बनाते समय साफ कहा था कि वह राजनीति के कीचड़ को साफ करने के लिए सियासी मैदान में उतरे हैं। उन्होंने दावा किया था कि आम आदमी पार्टी किसी दागी को उम्मीदवार नहीं बनाएगी। उनकी पार्टी थ्री सी (करेक्टर, करप्शन और क्राइम) के अपने सिद्धांत से कोई समझौता नहीं करेगी। आपराधिक मामलों में संलिप्त उम्मीदवारों की संख्या में 2015 विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार वृद्धि हुई है। 2015 के चुनाव के दौरान 17 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज़ थे वहीं 11 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज़ थे। 2020 के चुनाव में 32 उम्मीदवार ऐसे हैं जो महिलाओं से संबंधित अपराध में लिप्त हैं। जबकि चार पर हत्या की कोशिश केे मामले हैं। वहीं, 20 प्रत्याशी पर दोष सिद्ध हो चुके हैं, जिन्होंने खुद शपथ पत्र में स्वीकार किया है।

गंभीर आपराधिक मामलों के लिए एडीआर ने जो मापदंड रखे हैं उनमें पांच साल या उससे अधिक सज़ा वाले अपराध, गैर-जमानती अपराध, हमला, हत्या, अपहरण, बलात्कार से संबंधित अपराध, महिलाओं से संबंधित अपराध शामिल हैं। अब बात करें मालदार उम्मीदवारों की तो राजनीतिक दलों में कांग्रेस के 66 उम्मीदवारों में से 55 (83%) करोड़पति हैं। आप के 70 में से 51 (73%), भाजपा के 67 में से 47 (70%), बसपा के 66 में से 13 (20%) और एनसीपी के 5 उम्मीदवार में से 3 ( 60%) करोड़पति की श्रेणी में हैं। वहीं, शीर्ष दस में से अधिकतम संपत्ति वाले उम्मीदवारों में पांच आम आदमी पार्टी के हैं। इनमें मुंडका क्षेत्र से आप प्रत्याशी धर्मपाल लाकड़ा 292 करोड़ से ज्यादा, आरकेपुरम से प्रमिला टोकस और बदरपुर क्षेत्र के उम्मीदवार राम सिंह 80 करोड़ से ज्यादा के मालिक हैं।arvind kejriwal

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी आपराधी उम्मीदवारों से भी भरी हुई इस बार चुनाव मैदान में उतरी है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के 57 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से आधे से अधिक विधायकों के खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, रेप जैसे संगीन अपराधों के तहत केस दर्ज हैं और ये जेल भी जा चुके हैं। समय के साथ केजरीवाल के साथी असीम अहमद, राखी बिड़लान, अमानतुल्ला, दिनेश मोहनिया, अखिलेश त्रिपाठी, संजीव झा, शरद चौहान, नरेश यादव, करतार सिंह तंवर, महेन्द्र यादव, सुरिंदर सिंह, जगदीप सिंह, नरेश बल्यान, प्रकाश जरावल, सहीराम पहलवान, फतेह सिंह, ऋतुराज गोविंद, जरनैल सिंह, दुर्गेश पाठक, धर्मेन्द्र कोली और रमन स्वामी जैसे आप विधायक और नेताओं पर आरोपों की लिस्ट लंबी होती गई है। ऐसे में साफ पता चलता है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ अपराधियों की पार्टी बनकर रह गई है।arvind kejriwal

आपको आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता सोनी की मौत का मामला तो याद ही होगा इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक शरद चौहान को जेल भी जाना पड़ा क्योंकि सोनी ने उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही प्रकाश जारवाल पर एक महिला ने छेड़खानी और धमकी देने का आरोप लगाया। आप नेता रमन स्वामी पर संगीन इल्जाम लगा कि उन्होंने शादीशुदा महिला के साथ बलात्कार किया। महिला ने नेताजी पर दोस्ती के बाद नौकरी दिलाने का झांसा देने और बलात्कार करने का आरोप लगाया जो मेडिकल परीक्षण में साबित भी हुआ। दिनेश मोहनियां पर न सिर्फ एक महिला ने बदसलूकी का आरोप लगाया था, बल्कि एक बुजुर्ग ने भी उनके खिलाफ थप्पड़ जड़ने का आरोप लगाया था। विधायक अमानुल्लाह खान पर उनके ही इलाके में रहने वाली एक महिला ने बलात्कार और हत्या की धमकी देने का आरोप लगाया। महिला कल्याण मंत्री संदीप कुमार ने तो ऐसा कारनामा कर डाला कि केजरीवाल सरकार मुंह दिखाने लायक नहीं रह गयी। एक ऐसी सीडी सामने आयी जिसमें संदीप कुमार महिलाओं के साथ अंतरंग अवस्था में थे। केजरीवाल सरकार के कानून मंत्री रहते हुए जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री फर्जी निकली थी। जालसाजी कर उन्होंने डिग्री हासिल की थी। इस आरोप में दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। सोमनाथ भारती पर कानून मंत्री रहते अपनी पत्नी के साथ मारपीट करने, उन्हें कुत्ते से कटवाने के आरोप लगे।