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कैसे बदल रही है जम्मू-कश्मीर की तस्वीर?

Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों के बीच की इस कृत्रिम दीवार को हटा दिया गया। देश के अन्य हिस्सों में बसे 5300 पीओजेके विस्थापित परिवारों को भी राहत पैकेज दिया गया। साथ ही उनके जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी बनने का रास्ता भी प्रशस्त हुआ।

पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में संशोधन हुआ, राज्य का दो केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन हुआ और इसके बाद जून 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वहां के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ सकारात्मक बातचीत भी हुई। मूल प्रश्न ये है कि पिछले दो सालों में जम्मू-कश्मीर की तस्वीर कितनी बदली है? क्योंकि इसी प्रश्न के उत्तर से यह संकेत मिलेगा कि जम्मू-कश्मीर का भविष्य कैसा होगा? जमीनी स्तर पर तथा नीति निर्माण, दोनों ही स्तर पर जम्मू कश्मीर में पिछले 23 महीनों में अभूतपूर्व देखने को मिला है। यह बदलाव विकास परियोजनाओं, प्रशासन और प्रदेश की जनता के अधिकारों के स्तर पर देखने को मिला है। इनमें से कुछ मुख्य बदलावों की चर्चा हम यहां करेंगे। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल विधानसभा सीटों के परिसीमन डीलिमिटेशन का काम जारी है। डीलिमिटेशन कमीशन को मार्च 2022 तक रिपोर्ट देनी है। इस प्रक्रिया में राज्य की 90 सीटों का दोबारा परिसीमन किया जाना है जिसमें पिछले परिसीमनों में की गयी त्रुटियों को सुधारा जायेगा यानि जम्मू-कश्मीर के हरेक क्षेत्र को तय नियमों के आधार पर बराबर सीटों का बंटवारा होगा। केंद्र सरकार ने प्रदेश के तमाम राजनीतिक प्रतिनिधियों से बातचीत की शुरुआत कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तेज़ी लाने और तमाम पार्टियों साथ लेकर चलने का प्रयास शुरू कर दिया है ताकि परिसीमन की प्रक्रिया में तमाम पार्टियां हिस्सा ले सकें।

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अनुच्छेद 370 और सेक्शन 35 ए हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में भी भारतीय संविधान, अन्य राज्यों के समान पूर्णतया: लागू हुआ। जम्मू -कश्मीर में आधी आबादी यानि महिलाओं, सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग (विशेषकर वाल्मिकी समाज), पश्चिमी पाकिस्तानी से आए शरणार्थी, गोरखा समाज, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओजेके से आए विस्थापितों को समता, समानता और समान अवसर जैसे मूलभूत अधिकार के अलावा स्थायी निवासी होने का हक मिला। तमाम राजकीय भेदभाव खत्म हुआ।

नई डोमिसाइल पॉलिसी लागू हुई जिसके तहत देश के अन्य राज्यों के निवासियों को भी जम्मू-कश्मीर में बसने, जमीन खरीदने और स्थायी निवासी बनने का अधिकार मिला। जम्मू कश्मीर और अन्य राज्यों के बीच की इस कृत्रिम दीवार को हटा दिया गया। देश के अन्य हिस्सों में बसे 5300 पीओजेके विस्थापित परिवारों को भी राहत पैकेज दिया गया। साथ ही उनके जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी बनने का रास्ता भी प्रशस्त हुआ। 7वां वेतन आयोग 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर में तत्काल प्रभाव से लागू किया गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विस कैडर का अगमुट कैडर में विलय कर दिया गया।

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अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में पंचायती राज की स्थापना हुई। जिला पंचायत के चुनाव में 51.7% वोटिंग हुई। इसमें पहली बार महिला आरक्षण लागू होने के बाद 100 महिला चुनकर आयीं। साथ ही पहली बार 280 जिला पंचायत सदस्य चुने गये और 20 जिलों में पहली बार जिलाध्यक्ष चुने गये प्रोटोकॉल में डिप्टी कमिश्नर के समान दर्जा दिया गया है।

पहली बार प्रदेश में राजनीतिक स्तर पर आरक्षण लागू किया गया जिससे 20 जिलों में 6 महिला जिलाध्यक्ष, 2-2 अनुसूचित जाति औऱ अनुसूचित जाति के जिलाध्यक्ष चुने गये। पहली बार चुनाव के दौरान कहीं पर भी गोली नहीं चलानी पड़ी, चुनाव में घपला और अशांति नहीं हुई और भयरहित होकर लोगों ने मतदान किया। 280 सीटों पर कुल 2178 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें 450 महिलाएं थीं। जिला पंचायत चुनाव में अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल 38 गुज्जर बक्करवाल जिला पंचायत सदस्य चुनकर आये, जिनमें 15 महिला हैं। अब तक इस जनजाति का राजनीति में प्रतिनिधित्व बेहद कम रहता था।

कुल 4483 सरपंच निर्वाचन क्षेत्रों में से, 3650 सरपंच निर्वाचित हुए और 35029 पंच निर्वाचन क्षेत्रों में से, 23660 पंच निर्वाचित हुए। 3395 पंचायतों का विधिवत गठन हुआ और 1088 प्रशासक नियुक्त किए गए। विगत महीनों में पंचायतों को सुदृढ़ किया गया है और 21 विषय पंचायतों को सौंपे गए हैं। साथ ही पंद्रह सौ करोड़ रुपए उनके खाते में डाल कर उन्हें मजबूत किया गया जिनमें आईसीडीएस, आंगनवाड़ी, मनरेगा की मॉनीटरिंग और खनन का अधिकार संबंधी विषय शामिल हैं। इससे वह आत्मनिर्भर होंगे, अपने गांव का विकास करेंगे और यह सब अनुच्छेद 370 हटने के कारण संभव हो सका है।

Jammu and Kashmir

विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के लिए 6 हजार सरकारी नौकरियों की व्यवस्था पिछले एक साल में की गयी। जम्मू-कश्मीर के लिए वित्त वर्ष 2021-22 का कुल बजट अनुमान 1,08,621 करोड़ रूपये रखा गया है, जिसमें विकासात्मक व्यय 39817 करोड़ रूपये है। ऊधमपुर-बारमूला रेल मार्ग का निर्माण तेजी से जारी है, जो अगले साल बनकर तैयार हो जाय़ेगा। 3300 मेगावाट बिजली क्षमता के संबंध में एक सहमति पत्र पर हस्तक्षर हुए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) 3 मार्च 2021 तक 29429 घर बनाये गये। 2019-20 में छह लाख लोगों ने विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लिया। ऐसा मुमकिन है, क्योंकि कानून व्यवस्था सामान्य स्थिति में है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 3.50 लाख फाइलों के 2 करोड़ से अधिक पन्नों को ‘ई-ऑफिस’ प्रॉजेक्ट के तहत सफलतापूर्वक डिजिटलाइज किया है। इससे जहां करोड़ों रुपये की बचत होगी, वहीं इन फाइलों को दरबार स्थानांतरण के दौरान जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू ले जाने की जरूरत भी नहीं होगी। इससे साल में लगभग 50 करोड़ का व्यय कम होगा।

जम्मू-कश्मीर में विकास को गति देने के उद्देश्य से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 12600.58 करोड़ रुपये के जिला कैपेक्स (पूंजी व्यय) बजट को मंजूरी दी । इस वर्ष 2021-22 के लिए स्वीकृत यह विकास राशि बीते वित्त वर्ष की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। वर्ष 2020-21 में 5134.40 करोड़ रुपये की विकास योजना मंजूर मिली थी। राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद यह पहला बजट है, जिसमें विकास योजनाओं का खाका पंचायत, ब्लॉक विकास और जिला विकास परिषद की अनुशंसा से तैयार किया गया है।

manoj sinha

जम्मू-कश्मीर सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में गांव की ओर (बैक टू विलेज) कार्यक्रम के तहत 50 हजार युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय मदद देने का प्लान लागू। इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों में 18 हजार पद भी चिह्नित कर आवेदन मांगे जा चुके हैं। कुल 25 हजार सरकारी नौकरी का लक्ष्य इस साल रखा गया है। जम्मू-कश्मीर में कुल 23,111 सरकारी स्कूलों के साइन बोर्ड का बैकग्राउंड तिरंगा बनाया गया और उसके ऊपर स्कूल के बारे में सारी जानकारी लिखी गयी। स्कूलों बच्चों में देश के राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान बढ़ाने की दृष्टि से ये फैसला किया गया।

केंद्र सरकार ने पीएम विशेष राहत पैकेज के तहत जम्मू कश्मीर के विकास के लिए 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया। इस पैकज में आईआईटी, आईआईएम और एम्स के अलावा आधारभूत क्षेत्रों जैसे सड़क, बिजली और सिंचाई परियोजनाओं सहित सभी रुके हुए विकास कार्यों को जल्द ही पूरा किया जा रहा है। साल 2021 के अंत तक जम्मू-कश्मीर के 11 लाख घरों में स्वच्छ पानी की आपूर्ति हो इसके लिए केंद्र सरकार ने 10500 करोड़ रुपये जारी किये हैं। पानी के लिए अब भविष्य में लोगों को सिर्फ प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

PM Narendra Modi

विश्वस्तरीय, सुरक्षित, विश्वसनीय और टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन सुविधा प्रदान करने के लिए श्रीनगर और जम्मू शहरों के लिए एलिवेटेड लाइट रेल प्रणाली की योजना बनाई जा रही है। इस परियोजना के लिए 10,599 करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया है। लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम (एलआरटीएस) जिसमें जम्मू में एक कोरिडोर और श्रीनगर में दो कोरिडोर होंगे, 4 वर्ष में पूरा हो जाएगा। अनुमान बै साल 2024 तक लाइट मेट्रो चलनी शुरू हो जायेगी।

वित्तीय वर्ष 2020-2021 में जम्मू-कश्मीर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (जेकेआईडीएफसी) विभाग ने अभी 1313.24 करोड़ की लागत के 593 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी। जिसमें नागरिकों की सुविधा से जुड़ी परियोजनाएं शामिल थीं। जिनमें ज्यादाकर परियोजनाएं 6 महीने के अंदर तैयार कर ली गयीं। जिसमें 50 नये रोड, 56 ब्रिज और 5 बिल्डिंग शामिल है।

जम्मू-कश्मीर में बीआरओ ने लगभग 100 करोड़ की लागत से साल 2020-2021 में 17 महत्वपूर्ण पुल का निर्माण किया है। ये पुल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करेंगे और दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी योगदान देंगे। इनमें 4 अखनूर सेक्टर में स्थित हैं और 2 जम्मू-राजपुरा क्षेत्र में स्थित हैं।

जम्मू-कश्मीर में शत प्रतिशत लोगों के घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है और 3,57,405 लोगों को 70 साल से बिजली नहीं मिल रही थी उन्हें 17 महीने में बिजली दी गई है। इस वर्ष 36 किलोमीटर लंबी 33 केवी लाइन बिछाकर एलओसी पर स्थित केरन और मुन्दिआन गांवों को ग्रिड से जोड़ दिया गया। सितम्बर 2022 तक सभी 18.16 लाख ग्रामीण परिवार पाइप द्वारा 100% जलापूर्ति से कवर हो जाएँगे। दो जिलों में शत-प्रतिशत घर कवर हो गए हैं, मार्च 2021 तक दो और जिले में शत-प्रतिशत घर कवर हो जाएंगे। मार्च 2022 तक नौ जिले कवर हो जाएंगे और बाकी सात जिले सितम्बर 2022 तक कवर हो जाएंगे।

‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ (पीएमजीएसवाई) के तहत जम्मू- कश्मीर 2020-21 में 5300 कि.मी. सडकों के निर्माण की योजना पर काम जारी है।जम्मू -कश्मीर में 2 एम्स बनाये जा रहे हैं। जम्मू संभाग के विजयपुर, सांबा जिले में 750 बेड का एम्स और कश्मीर संभाग के अवंतीपोरा में दूसरा एम्स। इसके अलावा श्रीनगर में 500 बिस्तरों वाला नया बाल अस्पताल, जम्मू में 200 बिस्तरों वाले नए मातृत्व अस्पताल, जम्मू में नए हड्डी और जोड़ अस्पताल, जीएमसी जम्मू में 100 बिस्तर के आकस्मिक चिकित्सा ब्लाक, जम्मू में बालक और बालिका छात्रावास का निर्माण, जीएमसी श्रीनगर में नर्सिंग महाविद्यालय का निर्माण, 17 जिला अस्पतालों का निर्माण जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं।