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हिंदुओं को हाशिए पर रखना और उनके अधिकार छीनना हमेशा से कांग्रेस की मनोवृत्ति रही है

राहुल गांधी ने संसद में जो कहा, उससे एक बार फिर कांग्रेस की हिंदुओं के प्रति घृणास्पद सोच और उसका हिंदू विरोधी चरित्र सामने आ गया है। खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण बताने वाले कांग्रेस के युवराज की सोच भी हिंदू विरोधी है। राहुल गांधी ने कहा, जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, 24 घंटे हिंसा-हिंसा और असत्य-असत्य कहते रहते हैं।

कांग्रेस हमेशा से मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति ही करती आई है। हिंदुओं के प्रति कांग्रेस का रवैया सदैव से सौतेला ही रहा है। जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने, शेख अब्दुल्ला के प्रति उनका प्रेम जगजाहिर रहा। उनकी नीतियों का खामियाजा देश ने दशकों तक भुगता। जम्मू-कश्मीर से एक ही दिन में लाखों कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा लेकिन कांग्रेस चुप्पी साधे रही। किसी ने कश्मीरी पंडितों के हित की नहीं सोची। उनका कसूर बस इतना ही था कि वह हिंदू थे।

हिंदुओं को हिंसक बताने वाले राहुल गांधी हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुई घटना पर कुछ नहीं बोले, जहां शरिया कानून की तर्ज पर एक महिला को सरेआम पीटा गया। हिंदुओं को हिंसक बताने वाले राहुल गांधी इस घटना पर इसलिए नहीं बोले, क्योंकि यह कृत्य उनकी सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के राज में हुआ। महिला को सरेआम पीटने वाला भी तृणमूल का कार्यकर्ता ही है। हिंदुओं के प्रति कांग्रेस की सोच का एक और उदाहरण है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। पिछले दिनों कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक-2024’ पारित किया है। इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत अब से प्रदेश के सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहे मंदिरों पर 10% अतिरिक्त टैक्स लगा दिया गया है।

हिंदुओं को हिंसक बताने वाले राहुल गांधी बताएं कि वक्फ बोर्ड को इतनी ताकत कांग्रेस ने क्यों दी? हिंदुओं के मंदिरों पर भी कांग्रेस टैक्स क्यों लगाती है? कांग्रेस 50 वर्ष तक सत्ता में रही, लेकिन उसने कभी जातिगत जनगणना नहीं कराई, क्यों? और वर्ष 2024 में लोकसभा चुनावों से पहले यह अति आवश्यक क्यों हो गई थी? दरअसल, कांग्रेस की थ्योरी पहले से ही यही रही कि हिंदुओं को जातिगत खांचे में बांटों और अपना उल्लू सीधा करो। यही काम कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने किया और यही राहुल गांधी भी करना चाहते हैं।

कांग्रेस के हिंदू विरोधी कृत्यों की सूची
– अनुच्छेद-25, 28, 30 (1950), अनुच्छेद-25 द्वारा कांग्रेस ने कन्वर्जन को वैधता दिलाई और अनुच्छेद-28, 30 के जरिए अल्पसंख्यकों की हिंदुओं पर वरीयता स्थापित कराई।
– कांग्रेस ने अनुच्छेद-28 के माध्यम से हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा का अधिकार छीन लिया, और अनुच्छेद-30 में मुसलमानों और ईसाइयों को पांथिक शिक्षा की अनुमति दी गई।
– इसके बाद कांग्रेस हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम (एचआरसीई अधिनियम) (1951) लाई। इसके तहत अन्य कानूनों के साथ मंदिरों को राज्य सरकारों के हाथों में सौंप दिया गया। इसके तहत चर्च और मस्जिदों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त रखा गया, मंदिरों को नहीं।
– कांग्रेस ने हिंदू कोड बिल के तहत तलाक कानून, दहेज कानून द्वारा हिंदू परिवारों को नष्ट कर दिया, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को छुआ तक नहीं। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी गई।
– कांग्रेस द्वारा 1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया, ताकि मुस्लिम लड़के आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सकें। इसी तरह, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम-1956, लाया गया। इसमें 2005 में बदलाव किया गया। संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द भी कांग्रेस ने ही जोड़ा, वो भी बिना किसी चर्चा के।
– कांग्रेस ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992, प्लेस आफ वर्शिप एक्ट-1991, वक्फ कानून-1995 जिसके तहत वक्फ बोर्ड को असीमित ताकत दे दी।

यह सारे कृत्य कांग्रेस की ही देन हैं। अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम ने मुसलमानों को ‘अल्पसंख्यक’ घोषित कर दिया, जबकि पंथनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक हो ही नहीं सकते। वहीं, अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत मुसलमानों को विशेष अधिकार और विशेष लाभ दिए गए। कांग्रेस ने वक्फ बोर्ड को जो अधिकार दिए उसके तहत वक्फ कानून कहता है कि यदि वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे, तो उसे उसकी संपत्ति माना जाएगा। यदि यह दावा गलत भी है तो भी संपत्ति के मालिक को इसे सिद्ध करना होगा।

इससे पहले, वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का होने की बात बोल ही चुके हैं। वर्ष 2007 में रामसेतु को लेकर यूपीए सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर रामसेतु को काल्पनिक तक करार दे दिया था। मुंबई हमले के बाद वर्ष 2009 में कांग्रेस भगवा आतंकवाद की थ्योरी लेकर आई थी, यानी इस हमले के पीछे हिंदू संगठनों के होने की बात को कांग्रेस साबित करना चाह रही थी।

इसके बाद वर्ष 2011 में कांग्रेस सांप्रदायिक हिंसा विधेयक लेकर आई, जिसके निहितार्थ सब जानते हैं। यह विधेयक इस सिद्धांत पर लाया गया था कि हिंदू हिंसक होता है। इसमें प्रावधान था कि यदि कहीं सांप्रदायिक हिंसा होती है तो इसके लिए हिंदू जिम्मेदार होंगे, भले ही हिंसा हिंदुओं ने न की हो। इसमें हिंदुओं के विरुद्ध की गई हिंसा को भी हिंसा नहीं माना गया था। गनीमत रही कि यह विधेयक पारित नहीं हो सका, नहीं तो स्थिति क्या होती इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है?

जब मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-35ए और अनुच्छेद-370 हटाया तो इसका कड़ा विरोध कांग्रेस ने किया। ऐसे और भी तमाम उदाहरण हैं, जिसमें कांग्रेस की हिंदुओं की प्रति सोच का पता चलता है। कांग्रेस शासित राज्यों में हिंदुओं का आरक्षण काटकर उसे मुसलमानों को देना भी का कांग्रेस का मूल चरित्र उजागर करता है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।