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माइनस में आई कच्चे तेल की कीमत, भारत को फिर भी फ्री नहीं मिलेगा पेट्रोल

कोरोनावायरस के संक्रमण के बीच अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत औंधे मुंह गिरी है। तकरीबन 74 साल बाद कच्चे तेल की कीमत में इतनी कमी आई है।

नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संक्रमण के बीच अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत औंधे मुंह गिरी है। तकरीबन 74 साल बाद कच्चे तेल की कीमत में इतनी कमी आई है। अब सवाल ये उठता है कि इससे भारत में पेट्रोल की कीमतों में कोई फर्क आएगा या नहीं।

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बैरल कच्चे तेल की कीमत -37.63 डॉलर के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सरकार आयातित कच्चे तेल के बेस प्राइस में एक्साइज ड्यूटी, वैट और कमीशन भी जोड़ती है। इसके बाद ही आपको पेट्रोल मिलता है।

यही कारण है कि पिछले तीन महीने से कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद सरकार ने कीमतें कम करने की बजाए एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दिया। जिससे अभी भी पेट्रोल या डीजल की कीमतों में मामूली फायदा मिल रहा है।

कच्चे तेल के सस्ते होने के बाद भी पेट्रोल की कीमत चुकानी पड़ेगी 

आपको बता दें कि 1 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमत गिरकर 23 डॉलर प्रति बैरल यानी प्रति लीटर 11 रुपए पर आ गई। इसके बावजूद दिल्ली में 1 अप्रैल को पेट्रोल का बेस प्राइस 27 रुपए 96 पैसे तय किया गया। इसमें 22 रुपए 98 पैसे की एक्साइज ड्यूटी लगाई गई। 3 रुपए 55 पैसा डीलर का कमीशन जुड़ गया और फिर 14 रुपए 79 पैसे का वैट भी जोड़ दिया गया। अब एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69 रुपए 28 पैसे हो गई। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल भले ही सस्ता हो जाए, लेकिन आपको पेट्रोल की कीमत ज्यादा ही चुकानी पड़ती है।