नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से मॉनिटरी पॉलिसी के लिए कमिटी बनाए जाने की घोषणा कर दी गई है। रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट भी लगातार सातवीं बार बरकरार रखा गया है। इस पर RBI के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने बयान देते हुए कहा कि रिजर्व बैंक इस साल के अंत तक वैध डिजिटल करेंसी का मॉडल ऑफ ऑपरेशन ला सकता है। उन्होंने एकबार फिर से कहा कि सेंट्रल बैंक वैध डिजिटल करेंसी की संभावनाओं पर लगातार गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्होंने यहां तक कहा कि इस करेंसी के तमाम पहलू जैसे स्कोप, टेक्नोलॉजी, डिस्ट्रीब्यूशन मैकेनिज्म, वैलिडेशन मैकेनिज्म को ध्यान में रखते हुए काम चल रहा है।
बता दें कि इससे पहले 22 जुलाई को दिए अपने एक बयान में उन्होंने कहा था कि भारत भी चरणवार तरीके से डिजिटल करेंसी को लॉन्च कर सकता है। इस बारे में विचार किया जा रहा है। उन्होंने इस समय उन्होंने यह भी कहा था कि वक्त आ गया है जब डिजिटल करेंसी को नकारा नहीं जा सकता है। चीन सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। वहीं, बैंक ऑफ इंग्लैंड और अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी इस दिशा में काम कर रहा है।
साल के आखिर तक आएगा डिजिटल करेंसी का मॉडल
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने मॉनिटरी पॉलिसी को लेकर कहा कि रिजर्व बैंक का CBDC कब लॉन्च होगा, इसकी तारीख के बारे में बताना तो मुश्किल होगा, लेकिन बहुत जल्द हम एक मॉडल पर फैसला जरूर लेंगे। वहीं इस साल के अंत तक यह साफ हो जाएगा कि सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी किस तरह काम करेगी, और उसका मॉडल किस तरह का होगा।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर चिंता जारी
रबी शंकर ने कहा कि डिजिटल करेंसी को लेकर कई सालों से काम चल रहा है। लेकिन प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटक्वॉइन और इथीरियम की बढ़ती लोकप्रियता ने इसके तरफ ध्यान आकर्षित किया है। तमाम क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं। वहीं एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि सेंट्रल बैंक की चिंता प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के साथ ही जारी है। फिलहाल इसे लेकर रेग्युलेशन नहीं किया गया है और यह बात सरकार को भी बताई जा चुकी है।