नई दिल्ली। इस देश में रहने वाला कोई भी शख्स गरीबी का शिकार ना हो। पिछले 9 साल के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने अपने इसी मकसद को जमीन पर उतारने का काम किया है, जिसकी तस्वीर आज नीति आयोग ने भी आंकड़ों के रूप में पेश कर दी है। आइए, आगे आपको नीति आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के बारे में विस्तार से बताते हैं। पिछले 9 वर्षों के दौरान गरीबी जनसंख्या अनुपात में भारी गिरावट आई है। गरीबी कुल संख्या अनुपात 2013-14 (अनुमानित) में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 (अनुमानित) में 11.28 प्रतिशत हो गया। नीति आयोग द्वारा आज जारी चर्चा पत्र के अनुसार 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी, पिछले 9 वर्षों के दौरान 24.82 करोड़ व्यक्तियों के बहुआयामी गरीबी से बचने का अनुमान है।
A steep decline in the poverty headcount ratio during the last 9 years. The poverty headcount ratio reduced from 29.17 per cent in 2013-14 (Projected) to 11.28 per cent in 2022-23 (Projected). According to the discussion paper released today by NITI Aayog Multidimensional poverty… pic.twitter.com/LdGzWDGj8V
— ANI (@ANI) January 15, 2024
इसके अलावा गरीबी के आंकड़ों में भी गिरावट दर्ज की गई है। नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी को महज अर्थ के आधार पर कवर नहीं किया है, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और मौजूदा जीवन स्तर को भी इसमें शामिल किया गया है। इन सभी क्षेत्रों में जिन लोगों की मौजूदा हालत दुरूस्त हुई हैं, उन्हें गरीबी रेखा से बाहर रखा गया है।
अब आपके जेहन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर अपने 9 सालों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने ऐसा कौन-सा जादू चला, जिसकी वजह से गरीबी रेखा से नीचे के तबके के लोगों के बीच विकास की बयार बही है, तो इसके पीछे की वजह समझने के लिए आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को समझना होगा। आपको बता दें कि अपने कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी ने ऐसी कई कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ किया, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ा है, जिसका नतीजा हुआ है कि आज की तारीख में गरीबी खत्म होने के कगार पर आ चुकी है। कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब भारत में गरीबी गुजरे जमाने की बात हो जाएगी।