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दूसरे चरण में ट्रायल के लिए स्वदेशी ‘कोवैक्सीन’ को मिली मंजूरी, इस तारीख से होगा परीक्षण शुरू

अब ट्रायल(Trial) के दूसरे चरण में 380 वॉलंटियर्स पर वैक्सीन(Vaccine) को टेस्ट किया जाएगा। वैक्सीन का डोज दिए जाने के बाद अगले 4 दिन तक सभी वॉलंटियर्स की हेल्थ की स्क्रीनिंग(Screening)की जाएगी।

नई दिल्ली। भारक में कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ‘भारत बायोटेक’ के ‘कोवैक्सीन’ को दूसरे चरण के ट्रायल को ड्रग रेगुलेटरी ने ट्राय मंजूरी दे दी है। खबरों की मानें तो ये वैक्सीन अपने दूसरे चरण के ट्रायल को लेकर पूरी तरीके से तैयार है। माना जा रहा है कि इस स्वदेशी वैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल को सोमवार, 7 सितंबर से शुरू हो सकता है।

Bharat Biotech

इससे पहले भारत बायोटेक की इस वैक्सीन को देश के कई अलग-अलग हिस्सों में टेस्ट किया जा चुका है। डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने अपने बयान में कहा, ‘हेल्थ एक्सपर्ट्स के बीच 3 सितंबर को भारत बायोटेक की वैक्सीन को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई थी, जिसमें वैक्सीन को ट्रायल के दूसरे चरण में भेजने पर सहमति बनी।’

अब ट्रायल के दूसरे चरण में 380 वॉलंटियर्स पर वैक्सीन को टेस्ट किया जाएगा। वैक्सीन का डोज दिए जाने के बाद अगले 4 दिन तक सभी वॉलंटियर्स की हेल्थ की स्क्रीनिंग की जाएगी। फिलहाल भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन को ट्रायल के दूसरे चरण में भेजने की तेजी से तैयारियां की जा रही हैं। इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉक्टर ई. वेकंट राव ने बताया कि हमारी योजना के मुताबिक, ट्रायल के दूसरे चरण की जल्द शुरुआत के साथ ही पहले चरण की प्रक्रिया भी जारी है. बता दें कि भारत में अब तक 41 लाख से भी ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।

Bhart Biotech

इससे पहले वैक्सीन लेने वाले वॉलंटियर्स के ब्लड सैंपल लेकर वैक्सीन की प्रभावशीलता और शरीर में एंटीबॉडी के लेवल का पता लगाया गया था। डॉ. राव ने बताया कि भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का ट्रायल के पहले चरण में कोई साइड-इफेक्ट नहीं देखने को मिला है।

‘कोवैक्सीन’ को भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर बनाया है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक Covid-19 वैक्सीन पर काम करने वाली 7 भारतीय कंपनियों में से एक है। ये पहली कंपनी है, जिसे वैक्सीन की क्षमता और सुरक्षा की जांच के लिए सरकार की ओर से पहले और दूसरे चरण को रेगुलेट करने की मंजूरी मिली है।

corona vaccine

क्लिनिकल ट्रायल में लोगों पर इसका प्रयोग करके ये पता लगाया जाता है कि ये वैक्सीन कितनी सुरक्षित और असरदार है। आमतौर पर इस तरह की प्रक्रिया में दस साल लग जाते हैं। WHO के मुताबिक क्लिनिकल ट्रायल में लोग अपनी इच्छा से आते हैं। इनमें ड्रग्स, सर्जिकल प्रक्रिया, रेडियोलॉजिकल प्रक्रिया, डिवाइसेज, बिहेवियरल ट्रीटमेंट और रोगनिरोधक इलाज भी शामिल होते हैं।