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Relief: न तो ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या ज्यादा होगी और न अस्पताल भरेंगे, IIT कानपुर के प्रोफेसर का दावा

प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल के जरिए कोरोना की दूसरी लहर की काफी सटीक भविष्यवाणी की थी। उनके सूत्र मॉडल के आधार पर ही कोरोना की दूसरी लहर का पीक आया था और जिस महीने उन्होंने कोरोना केस कम होने की बात कही थी, उसी महीने केस कम होने शुरू हुए थे।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल।

कानपुर। ओमिक्रॉन के केस लगातार देश में बढ़ रहे हैं। लोग डरे हुए हैं। सरकारें तमाम कदम उठा रही हैं। इसी बीच नए साल पर आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने भरोसा बढ़ाने वाली बात कही है। अपने गणितीय “सूत्र” मॉडल के जरिए प्रोफेसर अग्रवाल ने उम्मीद जताई है कि ओमिक्रॉन के मरीजों की तादाद बहुत ज्यादा नहीं होगी। उन्होंने ये भविष्यवाणी भी की है कि मरीजों से अस्पताल नहीं भरेंगे। मणींद्र अग्रवाल ने ये जरूर कहा है कि फरवरी में ओमिक्रॉन का पीक आएगा। हालांकि, इसे तीसरी लहर कहा जाए या नहीं, इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। प्रोफेसर अग्रवाल के मुताबिक फरवरी में पीक आने के बाद तेजी से कोरोना के मरीजों की तादाद कम हो जाएगी और ओमिक्रॉन वैरिएंट का प्रकोप भी कम होगा।

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बता दें कि प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल के जरिए कोरोना की दूसरी लहर की काफी सटीक भविष्यवाणी की थी। उनके सूत्र मॉडल के आधार पर ही कोरोना की दूसरी लहर का पीक आया था और जिस महीने उन्होंने कोरोना केस कम होने की बात कही थी, उसी महीने केस कम होने शुरू हुए थे। बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पहला मरीज बीते साल 24 नवंबर को मिला था। इसके बाद वहां कोरोना केस बढ़ने लगे, लेकिन अब मरीज कम मिल रहे हैं। वहां ओमिक्रॉन केस अब 29 फीसदी तक कम हो गए हैं।

Coronavirus

प्रोफेसर अग्रवाल ने एक टीवी चैनल से कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका के हालात काफी कुछ एक तरह के हैं। वहां और यहां के लोगों में भी इम्युनिटी एक जैसी है। अब जबकि दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन के मामले एक महीने में ही कम हो गए हैं, तो ऐसा भारत में भी देखने को मिलने जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने वहां नाइट कर्फ्यू खत्म कर दिया है। बंद जगहों पर 1000 और खुली जगह 2000 लोगों को इकट्ठा होने की मंजूरी भी वहां दी गई है। प्रोफेसर अग्रवाल ने चुनावों के बारे में ये भी कहा कि कोरोना के पीक के वक्त कई राज्यों में चुनाव हुए थे। इस बार 5 राज्यों में चुनाव कराए जाएं या नहीं, ये चुनाव आयोग को तय करना है।