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Scary Covid: यात्रा प्रतिबंधों से Omicron को रोकना असंभव, 60 साल से ज्यादा उम्र वाले न करें ट्रैवेल

डब्ल्यूएचओ के बयान में कहा गया है कि व्यापक यात्रा प्रतिबंध नए कोरोना वैरिएंट के प्रसार को नहीं रोक सकेगा और इससे जीवन और आजीविका पर भारी बोझ पड़ेगा। संगठन का कहना है कि अभी के नतीजों से पता चला है कि जिन लोगों को पहले कोरोना हो चुका है, उन्हें ज्यादा बचाव करने की जरूरत है।

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने साफ कर दिया है कि ट्रैवेल बैन से ओमिक्रॉन वैरिएंट को रोका नहीं जा सकता। उसने सलाह दी है कि कोरोना के इस नए वैरिएंट से बचने के लिए 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग यात्रा न करें। डब्ल्यूएचओ के बयान में कहा गया है कि व्यापक यात्रा प्रतिबंध नए कोरोना वैरिएंट के प्रसार को नहीं रोक सकेगा और इससे जीवन और आजीविका पर भारी बोझ पड़ेगा। संगठन का कहना है कि अभी के नतीजों से पता चला है कि जिन लोगों को पहले कोरोना हो चुका है, उन्हें ज्यादा बचाव करने की जरूरत है। नए वैरिएंट में तेजी से म्यूटेशन हो रहा है और ये कोरोना पीड़ित लोगों में फैल सकता है। डेल्टा और डेल्टा प्लस के अलावा कोरोना के जितने भी वैरिएंट सामने आए हैं, वे कमजोर इम्युनिटी के लोगों के लिए खतरा बने हैं। संगठन की ओऱ से कहा गया है कि वैक्सीन लगाने में वक्त लगने पर वायरस म्यूटेशन भी ज्यादा करेगा और फैलेगा भी तेजी से। ऐसे में सभी को वैक्सीन की डबल डोज लेनी चाहिए।

PM Modi

इस बीच, मोदी सरकार ने बांग्लादेश को जोखिम वाले देशों की सूची से हटा दिया है। भारत में अब तक ओमिक्रॉन का कोई मामला भी सामने नहीं आया है। हालांकि, विदेश से आए लोगों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराई जा रही है। वहीं, जापान, फ्रांस व स्पेन में ओमिक्रॉन संक्रमण के चिंता बढ़ाने वाले नए मामले सामने आए हैं।

FILE PHOTO: FILE PHOTO: A woman holds a medical syringe and a small bottle labelled

खास बात ये है कि अब तक ओमिक्रॉन की वजह से किसी भी मरीज की मौत की सूचना नहीं है, लेकिन इसके बारे में निश्चित रूप से बहुत कम जानकारी है। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका में लॉकडाउन नहीं किया जाएगा, बल्कि लोगों से मास्क पहनने और बूस्टर डोज लेने का आग्रह किया जा रहा है। जबकि, यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी के कार्यकारी निदेशक एमर कुक ने यूरोपीय संसद को बताया कि मौजूदा टीके ओमिक्रॉन से एक हद तक सुरक्षा देते रहेंगे। उधर, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बताया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा टीके ओमिक्रॉन से गंभीर बीमारी होने से नहीं बचाएंगे, हालांकि एस्ट्राजेनेका के साथ विकसित कोविशील्ड टीके का एक नया वर्जन विकसित किया जा रहा रहा है।