newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Good News: ओमिक्रॉन वैरिएंट की जांच अब 2 घंटे में हो जाएगी, ICMR ने बनाई नई किट

अभी तक इसके लिए जिनोम सीक्वेंसिंग करनी पड़ती है। इसमें कई दिन लग जाते हैं। इस वक्त, भारत में ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या 33 हो चुकी है। साथ ही कई मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट का इंतजार है।

गुवाहाटी। कोरोना से जारी जंग में अच्छी खबर आई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ICMR ने कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए नई टेस्ट किट तैयार कर ली है। संस्थान के डिब्रूगढ़ लैब ने ये किट बनाई है। इससे अब महज 2 घंटे में ही ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता सैंपलों में चल जाएगा। अभी तक इसके लिए जिनोम सीक्वेंसिंग करनी पड़ती है। इसमें कई दिन लग जाते हैं। इस वक्त, भारत में ओमिक्रॉन के मरीजों की संख्या 33 हो चुकी है। साथ ही कई मरीजों की जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट का इंतजार है। बताया जा रहा है कि नई किट से 100 फीसदी नतीजा मिला है। अब विदेश से आने वाले लोगों की जांच रिपोर्ट जल्दी मिल जाएगी, तो उन्हें ज्यादा देर तक एयरपोर्ट्स पर रुकना भी नहीं होगा।

Coronavirus

इस किट को आईसीएमआर और कोलकाता की कंपनी जीसीसी बायोटेक मिलकर बनाएंगे। इस बीच, 33 ओमिक्रॉन मरीजों के होने के बाद सरकार ने लोगों से सुरक्षा के उपाय करने को कहा है। नया मरीज महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ का है और उसकी उम्र 3 साल है। इससे पहले पुणे में डेढ़ साल की बच्ची में ओमिक्रॉन मिला था, लेकिन वो ठीक हो गई। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखा है कि वे कोरोना की निगरानी बढ़ाए। खास तौर पर देश के जिन 27 जिलों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, वहां निगरानी के लिए कहा गया है। इन जिलों में रात का कर्फ्यू लगाने और एक जगह ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने की सलाह केंद्र ने दी है।

बता दें कि ओमिक्रॉन का पहला मरीज दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को मिला था। इस मरीज को कोरोना होने की जानकारी 9 नवंबर को हुई थी। जिनोम सीक्वेंसिंग में पता चला कि नया वैरिएंट इस मरीज के शरीर में है। इस वैरिएंट के भी अब दो रूप हो चुके हैं। पहला म्यूटेंट 50 बदलावों के साथ था। जबकि, दूसरा म्यूटेंट इससे कम बदलावों वाला है। इन म्यूटेंट को अब बीए-1 और बीए-2 नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने दिया है। पूरी दुनिया में इस वक्त ओमिक्रॉन वैरिएंट 55 देशों में फैला है और इसके करीब 600 मरीज मिले हैं।